जानिए वाइस चांसलर योगेश सिंह, जिन्होंने मनुस्मृति पर लिया बड़ा फैसला

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दिल्ली यूनीवर्सिटी (डीयू) में मनुस्मृति और बाबरनामा पढ़ाए जाने की लगातार आशंका जताई जा रही थी. इस बीच डीयू के कुलपति योगेश सिंह ने साफ कर दिया है कि विश्वविद्यालय में मनुस्मृति और बाबरनामा को स्टडी मैटेरियल या कोर्स में शामिल करने की कोई योजना नहीं है. कुलपति की ये टिप्पणी डीयू इतिहास विभाग की संयुक्त पाठ्यक्रम समिति की ओर से 19 फरवरी को एक बैठक में अंडरग्रेजुएट हिस्ट्री (ऑनर्स) सिलेबस में पाठ्य-पुस्तकों को शामिल करने को मंजूरी दिए जाने के कुछ सप्ताह बाद आई.

हालांकि, इस निर्णय को एकेडमिक काउंसिल और कार्यकारी परिषद की ओर से अनुमोदित नहीं किया गया है, जिनकी बैठकें अभी तक नहीं हुई हैं. कुलपति योगेश सिंह ने अपने बयान में कहा, ‘डीयू में मनुस्मृति और बाबरनामा जैसा कोई कोर्स या स्टडी मैटेरियल शुरू करने की हमारी कोई योजना नहीं है… न ही ऐसा कोई विषय डीयू प्रशासन के समक्ष विचार करने योग्य है, हम भविष्य में भी ऐसे विषयों को खारिज करते हैं.’ उन्होंने कहा कि बाबरनामा एक तानाशाह की आत्मकथा है और इसे पढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है. इस समय में इसकी कोई प्रासंगिकता भी नहीं है.

कौन हैं योगेश सिंह?

प्रोफेसर योगेश सिंह ने 8 अक्टूबर 2021 को कुलपति का पदभार ग्रहण किया. उन्होंने 35 वर्ष की उम्र में दिल्ली के गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर इंजीनियरिंग में प्रोफेसर बने. उन्होंने गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी में डीन, यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी में चीफ वार्डन , प्रॉक्टर, डायरेक्टर स्टूडेंट वेलफेयर और परीक्षा नियंत्रक जैसी कई प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाईं. 45 साल की उम्र में महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के 16वें कुलपति बने.

प्रोफेसर योगेश सिंह दिल्ली टेक्नोलॉजी यूनीवर्सिटी के तीसरे कुलपति (14 जुलाई 2016 से 13 जुलाई 2021) थे. उन्हें दूसरा कार्यकाल दिया गया था, जो उन्होंने 7 अक्टूबर 2021 तक जारी रहा. उन्होंने 31 दिसंबर 2014 से 11 जुलाई 2016 तक दिल्ली के नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के पांचवें डायेक्टर के रूप में भी कार्य किया. दिल्ली सरकार ने उन्हें 23 सितंबर 2015 से 24 जुलाई 2017 तक देश के इन दो प्रमुख संस्थानों की दोहरी जिम्मेदारी दी थी. उन्होंने हरियाणा के कुरुक्षेत्र के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एम. टेक किया है.