भिवानी :
विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ-साथ विभिन्न कर्मचारी संगठन भी एकजुट होकर अपनी आवाल बुलंद करने लगे है, ताकि पिछले लंबे समय से लंबित उनकी मांगों को पूरा करवाया जा सकें। इसी कड़ी में एनएचएम कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले एनएचएम कर्मचारी अपनी मांंगों को लेकर संघर्षरत्त है तथा स्थानीय लघु सचिवालय के बाहर उनकी अनिश्चितकालीन धरना शनिवार को 9वें दिन भी जारी रहा। इस दौरान एनएचएम कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री ने प्रतिकात्मक शव पर विलाप कर विरोध जताया। एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते प्रदेश भर में गर्भवती महिलाओं के पोषण, इनको समय पर ईलाज मिलना व बच्चों के टीकाकरण जैसी सुविधाएं प्रभावित हो रही है। जिसके चलते आमजन को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस दौरान धरने को संबोधित करते हुए एनएचएम कर्मचारी संघ हरियाणा के जिला प्रधान डा. हिमांशु ने बताया कि वे नियमितीकरण, 7वां वेतन आयोग, एलटीसी का भुगतान, मैडिकल लीव, कैशलेस बीमा, ईएल/सीएल, पुरानी तबादला नीति को लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर लंबे समय से संघर्षरत्त है, लेकिन सरकार उनकी मांगों की लगातार अनदेखी कर रही है।
जिसके चलते उनमें रोष बना हुआ है। उन्होंने कहा कि एनएचएम कर्मचारी पिछले 9 दिनों धरनारत्त है, लेकिन सरकार ने उनकी सूध लेना तक मुनासिफ नहीं समझा। उन्होंने कहा कि प्रदेश भर के करीबन 18 हजार एनएचएम कर्मचारी तथा हड़ताल पर है। जिसमें भिवानी जिला के 550 के लगभग एनएचएम कर्मचारी अपने परिवार सहित धरने पर बैठे हुए हैं। उन्होंने कहा कि वे पिछले 15 से 20 वर्षो से विभाग में कार्य कर रहे है। उन्होंने कहा कि उनके बहुत से साथियों का वेतन विसंगतियों के चलते मनरेगा मजदूरों से कम वेतन है। कुछ ब्लॉक व जिला स्तर पर काम कर रहे एनएचएम कर्मचारियों का वेतन मासिक आठ हजार रूपये से भी कम है।
इस मौके पर महिला एनएचएम कर्मचारियों ने एक तरफ तो सरकार बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ व महिला सशक्तिरण का नारा देती नहीं थकती, वही दूसरी तरफ आज प्रदेश की बेटियां पढ़ी-लिखी व सशक्त होने के बावजूद भी सरकार की गलत नीतियों के कारण सडक़ों पर बैठकर अपने हक मांगनें को मजबूर है। जो कि सरकार की विफलता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि जब सरकार एनएचएम कर्मचारियों के हितों की ही रक्षा नहीं कर सकती तो सरकार द्वारा मैडिकल व नर्सिंग कॉलेज बनवाने का क्या औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि बेटियां पढ़-लिखकर भी रोजगार करने की बजाए अपने हकों के लिए दर-दर भटकते रहे। यदि सरकार इस प्रकार पढ़ाकर सशक्त बनाना चाहती है तो इससे तो अच्छा है कि बेटियां अनपढ़ ही रह जाए। उन्होंने कहा कि यदि सरकार को एनएचएम कर्मचारियों का शोषण ही करना है तो इससे अच्छा विकल्प नर्सिंग कॉलेजों पर ही ताला लगाना है। इस मौके पर नीलम कुमारी, प्रियवत्त, प्रवेश कुमार, विजेंद्र, मनोज कुमारी, रामभतेरी, शर्मिला सहित अन्य एनएचएम कर्मचारी मौजूद रहे।
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