सिरसा के 11 गांवों में 7 हजार एकड़ फसल जलमग्न, किसानों ने मुआवजे की मांग की

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सिरसा  : सिरसा जिला में घग्गर नदी का कहर जारी है। घग्गर में जलस्तर बढ़ने  के चलते 11 गांवों की 7 हजार एकड़ फसल डूबी गई है। अब गांव पनिहारी, बुर्जकर्मगढ़, फरवाईं खुर्द, फरवाईं कलां, नेजाडेला कलां, अहमदपुर, ढाणी सुखचैन, केलनियां, झोरडऩाली, मल्लेवाला, सहारनी व नेजाडेला खुर्द के कैचमेंट एरिया (घग्घर व सरकारी बांध के बीच का एरिया )  में पडऩे वाली करीब 7 हजार एकड़ फसल डूब गई है। गनीमत यह है कि सरदूलगढ़ में शनिवार की तुलना में रविवार को जलस्तर में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं गांव फरवाईं खुर्द में अनेक किसानों की फसल डूब गई है।गौरतलब है डूबी हुई फसल में  ज्यादातर छोटी जोत (कम जमीन) के जमींदार हैं।

दरअसल सिरसा जिला में मानसून में यह नदी कई बार अपना रौद्र रूप दिखा चुकी है। घग्गर पर किए गए एक अध्ययन के मुताबिक नदी में कमजोर जल प्रबंधन और सिंचाई की व्यव्स्था के कारण बाढ़ की हर साल संभावनाएं रहती है। नदी में वर्ष 1976, 1981, 1984, 1988, 1993, 1994, 1995, 1996, 1997, 2000, 2001, 2004, 2010, 2015 में बाढ़ आ चुकी है।नैशनल डिजास्टर मैनेजमैंट ने की रिपोर्ट के मुताबिक 1993, 1995, 2004 और 2010 में आई बाढ़ में पंजाब और हरियाणा की जनता को सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा। हिमाचल, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में नदी का कुल 49978 वर्ग किलोमीटर कैचमैंट एरिया है। घग्घर एक नदी न होकर एक  बरसाती नाला है और इस नदी में पहाड़ों पर होने वाली बरसात के अलावा मारकंडा एवं टांगरी नदियां इस बरसाती नाले को उफान पर ला देते हैं, जिससे बाढ़ की संभावन बन जाती है। भाखड़ा डैम, पोंग डैम का पानी घग्घर में कभी भी तबाही नहीं लाता है और न ही यमुना नदी का पानी इसमें छोड़ा जा सकता है।

सिंचाई विभाग की ओर से रविवार शाम को जारी बुलेटिन के अनुसार इस समय मारकंडा नदी में 11 हजार 558 जबकि टांगरी में 15 हजार 834 क्यूसिक पानी है। ऐसे ही घग्घर नदी में पंचकूला में 3 हजार 718 क्यूसिक पानी है। अंबाला-चंडीगढ़ रोड पर  4 हजार 920 क्यूसिक, गुहला चीका में 52 हजार 381 क्यूसिक, खन्नौरी में 13 हजार, चांदपुरा में 15 हजार 400 क्यूसिक, ओटू हैड पर 27 हजार 550 क्यूसिक पानी है। ओटू हैड से 19 हजार 668 क्यूसिक पानी राजस्थान साइफन में छोड़ा जा रहा है।

नदी के तटबंध पर अपनी डूबी हुई फसलों को देख रहे किसान छिंदा सिंह, बताया कि उन्होंने घीया, तोरी, भिंडी, करेले की खेती की थी। जो की पानी में डूब गई है छिंदा सिंह ने बताया कि 2023 में भी उनकी फसल डूब गई थी जिसका उन्हें मुआवजा तक नहीं मिला था ।  उनका कहना है कि सब्जी बेचकर ही वह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे लेकिन घग्घर के पानी ने सब बर्बाद कर दिया है। छिंदा सिंह ने बताया कि फिलहाल पानी फसलों तक पहुंचा है लेकिन अभी गांव को कोई खतरा नहीं है और तटबंधों को मजबूत किया जा रहा है।अगर पानी बढ़ता है तो गावो को खतरा हो सकता है ।

वहीं, किसान प्रीतम दास ने बताया कि घग्गर में पानी बढ़ने से गांव के पास बांध टूट गया जिस कारण घग्घर के साथ लगते सभी फसलों में पानी पहुंच गया है जिससे हजारों एकड़ फसल पानी की चपेट में आ गई है उन्होंने कहा कि उन्हीं  के गांव की लगभग 600 एकड़ फसल पानी की चपेट में आ चुकी है प्रीतम दास ने बताया कि फिलहाल गांव को अभी कोई खतरा नहीं है और गांव वालों और प्रशासन की मदद से बांध पर निगरानी की जा रही है और इसे मजबूत किया जा रहा है उन्होंने कहा कि अगर पानी का जलस्तर बढ़ा तो गांव को खतरा हो सकता है।