कसौली।
हरियाणा BJP अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और सिंगर रॉकी मित्तल को हिमाचल पुलिस ने गैंगरेप केस में क्लीन चिट दे दी है। पुलिस ने कसौली की कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी है। जिसमें कहा कि उन्हें गैंगरेप केस को लेकर कोई सबूत नहीं मिले। पुलिस ने केस को खारिज करने की सिफारिश की है।
हालांकि इस मामले में बड़ौली और मित्तल को राहत कोर्ट के आदेश पर निर्भर करेगी। कोर्ट इस मामले में रेप पीड़िता का पक्ष सुनेगी। अगर उसके पास सबूत हुआ तो फिर बड़ौली-रॉकी मित्तल इससे आसानी से नहीं निकल पाएंगे।
हालांकि हिमाचल पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट से पहले ही पंचकूला में रेप पीड़िता, उसकी सहेली और उसके बॉस सोनीपत के भाजपा नेता अमित बिंदल के खिलाफ हनीट्रैप की FIR दर्ज की जा चुकी है। जिसके बाद पीड़ित महिला को भी पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है।
1. शिकायतकर्ता के पास सबूत तो दोबारा जांच संभव: क्लोजर रिपोर्ट दाखिल होने पर शिकायतकर्ता को बुलाया जाता है। कोर्ट में उसकी स्टेटमेंट होती है। अगर वह बोलती है कि पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं है तो उसे इससे जुड़े सबूत कोर्ट में पेश करने होंगे। अगर कोर्ट को लगा कि उसके साथ ज्यादती हुई तो नए सिरे से जांच के आदेश दिए जा सकते हैं।
2. सबूत नहीं तो केस साबित करना मुश्किल: बड़ौली-रॉकी मित्तल केस में महिला ने गैंगरेप के आरोप लगाए हैं। ऐसे में कपड़े, बेडशीट, शराब पीने वाले गिलास, सीसीटीवी फुटेज, पीड़िता का मेडिकल आदि जरूरी सबूत होते हैं। इनके न होने से केस को साबित करना मुश्किल हो जाता है।
1. पीड़िता ऑब्जेक्शन फाइल कर सकती है: पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ पीड़ित महिला कोर्ट में ऑब्जेक्शन फाइल कर सकती है। कोर्ट महिला की आपत्ति को सुनेगा, कोर्ट को लगेगा कि इस केस में चार्जशीट के लिए एविडेंस हैं तो कोर्ट दोबारा जांच के आदेश दे सकता है।
2. महिला सबूत न दे पाई तो क्लोजर रिपोर्ट मंजूर होगी: अगर महिला एविडेंस नहीं दे पाएगी तो ये क्लोजर रिपोर्ट मानी जाएगी और केस खत्म हो जाएगा। यदि महिला का मेडिकल भी नहीं हुआ और सीसीटीवी फुटेज, शराब के गिलास वगैरह के सबूत भी मौजूद नहीं हैं तो उस सूरत में ऐसे साक्ष्य के बगैर चार्जशीट फाइल करना मुश्किल हो जाएगा।