सरकार और किसानों के बीच हुए समझौतों को लेकर बड़ा खुलासा, सच आया सामने

2
SHARE

चंडीगढ़ : तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चार वर्ष पूर्व हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन के चलते मोदी सरकार ने दिसंबर 2021 में संसद में प्रस्ताव पारित करके  तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दिया था । साथ ही सरकार ने आंदोलंकारी किसान संगठनों से समझौता वार्ताएं  करके कई वायदे भी किये थे ।

इसी बारे आरटीआई एक्टिविस्ट पीपी कपूर ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय में आरटीआई लगाई तो चौकाने वाली सूचनाएं सामने आई हैं । कपूर ने इन तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन के चलते सरकार और किसानों के बीच हुए समझौते की कॉपी व इस समझौते की शर्तों को पूरा करने के लिये सरकार द्वारा की गई कारवाई की रिपोर्ट  मांगी थी । कृषि फ़सलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद बारे कानूनी गारंटी बनाने के लिये की गई कारवाई की रिपोर्ट व वर्ष 2014  से किसानों की आमदन में प्रति वर्ष हुई वृद्धि व तीनो कृषि कानून रद्द करने के नोटिफिकेशन की कॉपी भी मांगी थी ।

इन सभी सवालों के लिखित जवाब में कृषि मंत्रालय के उप सचिव एवं केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने अपने  4  मार्च 2025 के पत्र  में चौंकाते हुए सूचित किया कि ऐसी कोई सूचना रिकार्ड में उपलब्ध नहीं है । इसी तरह कृषि फ़सलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य( एमएसपी ) पर खरीद करने के लिये कानून बनाने के लिये की गई कारवाई बारे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अवर सचिव एवं सीपीआईओ ओमकार ने अपने 18 फ़रवरी 2025 के पत्र द्वारा बताया कि  12 जुलाई 2022  को मोदी सरकार द्वारा पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी । अढ़ाई साल बीत जाने पर भी इस उच्च  स्तरीय  समिति की रिपोर्ट लंबित है।

कपूर ने बताया कि वर्ष 2014 में मोदी सरकार किसानो की  वर्ष 2022 तक दोगुनी आय करने की घोषणा की थी । जबकि घोषणा हुए दस वर्ष बीत जाने के बाद भी देश में खेती घाटे का सौदा होने व कर्ज़े के बोझ में दबे किसान लगातार आत्म हत्याएं कर रहे हैं । इस आरटीआई खुलासे से स्पष्ट है कि मोदी सरकार किस तरह देश का पेट भरने वाले किसानों से सरेआम धोखा कर रही है  और किसानों व  खेती की समस्याओं के हल के प्रति पूरी तरह संवेदन हीन है ।