चंडीगढ: शनिवार को भिवानी के पंचायत भवन में ‘हमारा संविधान – हमारा स्वाभिमान’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल के चीफ मीडिया कॉर्डिनेटर सुदेश कटारिया मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे। इस अवसर पर बिजेंद्र बड़गुर्जर भी विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस कार्यक्रम में समाज के विभिन्न वर्गों, दलित समुदाय और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।
संविधान से मिला सम्मान – बाबा साहेब की देन
बिजेंद्र बड़गुर्जर ने कहा कि संविधान की बदौलत ही हमें समान अधिकार और सम्मान प्राप्त हुआ है, जो बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की देन है। उन्होंने कहा कि सरकार की कोशिश है कि पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले और उनका सम्मान बना रहे। उन्होंने यह भी दोहराया कि दलित समाज के हितों पर कोई आंच नहीं आने दी जाएगी।
संविधान का सम्मान – समय की मांग
सुदेश कटारिया ने कहा कि संविधान केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि यह देश की आत्मा है। हर नागरिक को यह समझना चाहिए कि संविधान का निर्माण किसने किया और किसने उसका अपमान किया। उन्होंने कहा कि अगर यह कार्यक्रम चुनावी समय में होता तो इसे राजनीति से जोड़ा जाता, लेकिन यह एक सामाजिक चेतना अभियान है, जिसमें सभी का योगदान जरूरी है।
कांग्रेस पर तीखा हमला
कटारिया ने कहा कि 1952 में डॉ. भीमराव अंबेडकर ने जब कैबिनेट से इस्तीफा दिया, तो कांग्रेस ने उन्हें हराने के लिए षड्यंत्र रचा। इतना ही नहीं, दशकों तक उन्हें भारत रत्न से भी वंचित रखा। वर्ष 1990 में वी.पी. सिंह की सरकार ने भाजपा के समर्थन से उन्हें भारत रत्न दिया।
जन समस्याओं का समाधान प्राथमिकता
कटारिया ने कहा कि वर्तमान सरकार जनता की समस्याओं को गंभीरता से ले रही है। उन्होंने इस बात को दोहराया कि संविधान का मूल उद्देश्य नागरिकों को न्याय, समानता और अवसर देना है।
नौकरियों में पारदर्शिता – नया युग
कार्यक्रम में कटारिया ने यह भी कहा कि अब सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता लाई गई है। पहले सिफारिश और रिश्वत से नौकरियां मिलती थीं, लेकिन अब योग्य लोगों को अवसर मिल रहे हैं। यह परिवर्तन बाबा साहेब के सपनों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सामाजिक समरसता का संदेश
कार्यक्रम में संविधान के मूल्यों, नागरिक अधिकारों और सामाजिक समरसता को लेकर गंभीर विचार-विमर्श हुआ। सभी वक्ताओं ने इस बात पर बल दिया कि संविधान को समझने और सम्मान देने की आवश्यकता आज पहले से कहीं ज़्यादा है। आयोजकों ने बताया कि यह अभियान पूरे राज्य में जारी रहेगा ताकि संविधान की भावना जन-जन तक पहुंच सके।