चंडीगढ़। हरियाणा में भू-मालिक और किसान अब विकास परियोजनाओं के लिए टुकड़े में अपनी जमीन सरकार को बेच सकेंगे। यह जमीन के मालिक की मर्जी होगी कि वह अपने हिस्से को आंशिक रूप से बेचे या पूर्ण रूप से। इतना ही नहीं, प्रस्तावित भूमि तक पांच करम का पहुंच मार्ग (एप्रोच रोड) भी दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आठ साल पुरानी नीति की जगह नई भूमि खरीद नीति लागू करने की मंजूरी दे दी गई। इससे सरकारी विभागों एवं बोर्ड-निगमों तथा सरकारी कंपनियों को जमीन आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। वहीं, भू-मालिकों को भी उपयुक्त खरीदार नहीं होने पर मजबूरी में अपनी भूमि कम दामों पर नहीं बेचनी पड़ेगी।
भूमि मालिक ऑनलाइन पोर्टल पर सरकार को अपनी भूमि बेचने की पेशकश करके उसका अधिकतम मूल्य प्राप्त कर सकते हैं। हालांकि, बेची जानी वाली भूमि कभी भी शामलात देह या मुश्तरका मालिकान की श्रेणी में नहीं होनी चाहिए। नाबालिग, मंदबुद्धि अथवा मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्तियों के मामलों में न्यायालय की विधिवत स्वीकृति लेनी होगी।
भूमि की कीमत उपायुक्त तय करेंगे। बिचौलियों (एग्रीगेटर) को कुल लेन-देन का एक प्रतिशत कमीशन दिया जाएगा जो दो किस्तों में होगा। आधा कमीशन रजिस्ट्री होने तथा शेष कमीशन म्यूटेशन स्वीकृत होने तथा कब्जा सौंपे जाने के बाद दिया जाएगा।
यह दिया जाएगा कमीशन
परियोजना की कुल संभावित भूमि का कम से कम 70 प्रतिशत अपलोड करने वाले एग्रीगेटर को एक हजार रुपये से लेकर तीन हजार रुपये प्रति एकड़ तक कमीशन मिलेगा। यदि भूमि कलेक्टर दर पर उपलब्ध करवाई जाती है तो तीन हजार रुपये प्रति एकड़, कलेक्टर रेट से अधिकतम 20 प्रतिशत अधिक दर पर दो हजार रुपये प्रति एकड़ और इससे भी अधिक दर पर भूमि दिलाने पर एक हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से कमीशन दिया जाएगा।