हरियाणा में शराब ठेकों का राजस्व लक्ष्य नहीं हो पा रहा पूरा, अभी भी 113 जोन की नीलामी लंबित

SHARE

चंडीगढ़। हरियाणा के आबकारी एवं कराधान विभाग को शराब ठेकों की नीलामी करने में पसीने छूट रहे हैं। शराब ठेकों से मिलने वाली लाइसेंस फीस के रूप में हरियाणा सरकार को अपेक्षित राजस्व अभी तक नहीं मिल पाया है।

18 हजार करोड़ रुपये के अपेक्षित राजस्व लक्ष्य के विपरीत अभी तक राज्य सरकार के खजाने में सिर्फ 12 हजार करोड़ रुपये का राजस्व लाइसेंस फीस से प्राप्त हुआ है। राज्य में अभी भी 113 शार के ठेकों के जोन की नीलामी बाकी है।

हरियाणा पुलिस की सख्ती के बाद हालांकि शराब ठेकेदारों को धमकियां देने वाले गैंगस्टरों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा चुका है, लेकिन फिर भी शराब ठेकों की नीलामी में अपेक्षित तेजी नहीं आ पाई है।

प्रदेश में शराब ठेकेदारों व बोली दाताओं पर लगातार हो रहे हमलों के चलते कई जोन ऐसे हैं जहां अभी तक बोली सिरे नहीं चढ़ पाई है। सरकार ने इस साल शराब से कुल 14,064 करोड़ रुपये कमाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन जिस तरह से हर साल शराब ठेकों की नीलामी के राजस्व में बढ़ोतरी होती रही है, उसके हिसाब से यह राशि करीब 18 हजार करोड़ रुपये बैठती है।

अब तक 12 हजार 615 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित होने का दावा आबकारी एवं कराधान विभाग के अधिकारी कर रहे हैं। आबकारी विभाग के दावे के अनुसार राजस्व में सिर्फ डेढ़ हजार करोड़ रुपये की कमी बची है, जबकि वास्तविकता में यह साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये के आसपास राशि बनती है।

हरियाणा में कुल 1194 आबकारी जोन बनाए गए थे, जिनमें से 1,081 जोन की नीलामी हो चुकी है। प्रदेश में 113 जोन की अभी भी नीलामी पूरी नहीं हो सकी है। प्रदेश में आबकारी विभाग का नया वर्ष शुरू हुए करीब एक माह बीत चुका है।

राज्य के आबकारी एवं कराधान आयुक्त विनय प्रताप सिंह के अनुसार हर जोन में शराब बेचने वाली दो दुकानें खोली जा सकती हैं। नई नीति लागू होने के तीन सप्ताह के भीतर 2,150 से ज्यादा दुकानें खुल चुकी हैं। चल रही नीलामी में अब केवल 113 जोन नीलामी के लिए बचे हैं, जिनकी नीलामी कुछ ही दिनों में होने की संभावना है।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हरियाणा में खुदरा शराब की दुकानों के लिए आबकारी नीलामी पूरी तरह पारदर्शी प्रक्रिया में चल रही है, जो ई-नीलामी पोर्टल के माध्यम से आयोजित की गई है।

आबकारी आयुक्त के अनुसार लाइसेंस धारक नीलामी प्रक्रिया में स्वतंत्र रूप से भाग लेते हैं, इसलिए आबकारी जोन की नीलामी निष्पक्ष प्रक्रिया द्वारा निर्धारित उचित मूल्य पर की जाती है। इस साल मंत्रिमंडल ने 31 मार्च, 2027 तक लगभग दो साल की लंबी अवधि के लिए आबकारी नीति को मंजूरी दी थी, इसलिए विभाग पिछले साल की नीलामी की तुलना में कहीं अधिक राजस्व अर्जित करने में सक्षम रहा है।

तीन जुलाई 2025 को हुई अंतिम दौर की नीलामी में विभाग ने 21 और जोन की सफलतापूर्वक नीलामी की, जिससे 215 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। आयुक्त ने दावा किया कि अब तक नीलाम किए गए 1081 जोन से अर्जित राजस्व पिछली आबकारी नीति के मुकाबले अधिक मिला है।

पिछले वर्ष अगस्त 2024 तक चली नीलामी प्रक्रिया से कुल 7,025 करोड़ रुपए का लाइसेंस शुल्क अर्जित हुआ था। दूसरी तरफ विभाग के ही अधिकारियों का कहना है कि आबकारी विभाग के अधिकारी राजस्व प्राप्ति का एक साल का आंकड़ा बताकर अपनी पीठ ठोंकने का काम कर रहे हैं, जबकि आबकारी नीति दो साल के लिए है।