निशानेबाज अंकुर मित्तल और अभिषेक वर्मा की नियुक्ति बरकरार, पंजाब-हरियाणा HC ने सरकार पर लगाया जुर्माना

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चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज अंकुर मित्तल और अभिषेक वर्मा को हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) या हरियाणा पुलिस सेवा (एचपीएस) में नियुक्त करने संबंधी एकल पीठ के फैसले को बरकरार रखा है।

कोर्ट ने राज्य सरकार की अपील को खारिज करते हुए 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट ने कहा कि मामले में जायज दावे को रोकने और कोर्ट का समय बर्बाद करने की कोशिश की गई है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने प्रदेश सरकार की अपील को खारिज करते हुए कहा, कि “यह मुकदमा शुरू ही नहीं होना चाहिए था, यदि राज्य सरकार और उसके अधिकारियों ने उचित कानूनी सलाह ली होती।

यह मामला सेवा न्यायशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों पर आधारित था। फिर भी राज्य की मंशा साफ तौर पर सही नहीं थी।” निशानेबाज अंकुर मित्तल और अभिषेक वर्मा अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित खिलाड़ी हैं। उन्होंने 2018 की खेल नीति के तहत एचसीएस-एचपीएस पदों के लिए आवेदन किया था।

हालांकि, राज्य सरकार ने नौ मार्च 2019 को खेल नीति में संशोधन कर उसे पांच सितंबर 2018 से ही लागू कर दिया और इसी आधार पर दोनों खिलाड़ियों के दावे खारिज कर दिए।

कोर्ट ने कहा कि नियमों में संशोधन को जानबूझकर पीछे की तारीख से लागू किया गया कदम प्रतीत होता है। 2018 की मूल नीति के तहत जब आवेदन किए गए थे, उस समय खिलाड़ियों को नौकरी में विचार किया जाना उनका मौलिक अधिकार बन चुका था।

राज्य सरकार ने अंकुर मित्तल के मामले में तर्क दिया था कि “डबल ट्रैप” इवेंट ओलिंपिक 2020 में शामिल नहीं था। इसलिए उनका स्वर्ण पदक (2018, कोरिया) योग्यता नहीं बन सकता। अभिषेक वर्मा के मामले में कहा गया कि 10 मीटर एयर पिस्टल टीम इवेंट भी ओलिंपिक 2020 में नहीं था।

यह है घटनाक्रम का सार

  • 31 अगस्त 2018: अंकुर मित्तल ने डबल ट्रैप शूटिंग में स्वर्ण पदक जीताl
  • 26 सितंबर 2018: अभिषेक वर्मा ने कांस्य पदक के आधार पर आवेदन किया।
  • 29 नवंबर 2018: सरकार ने नियमों में खामियां बताते हुए दोनों की दावेदारी को खारिज कर दिया।
  • 09 मार्च 2019: नियमों में संशोधन कर इन्हें पूर्व प्रभाव से लागू कर दिया गया।
  • 2020: खिलाड़ियों को स्पोर्ट्स कोच की पोस्ट आफर की गई, जो उन्होंने अस्वीकार कर दीl
  • 2021: पुराने नियमों को रद कर नई भर्ती नीति लागू की गई।