बिहार में क्या 5 साल पुराने मिशन पर ही निकल पड़े हैं चिराग पासवान?

SHARE

चिराग पासवान का मूड साफ नजर नहीं आ रहा है. वह कानून-व्यवस्था को लेकर बिहार में नीतीश कुमार की सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं. 2 दिन पहले चिराग ने तल्ख लहजे में कहा कि बिहार में हालात भयावह हो गए हैं. यह टिप्पणी इसलिए मायने रखती है क्योंकि उनकी पार्टी सरकार में सहयोगी की भूमिका में है. वहीं चिराग रणनीतिकार से राजनीति में आए प्रशांत किशोर की तारीफ करते नजर आते हैं और उनकी ईमानदार भूमिका की सराहना भी करते हैं.

वह खुद केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री हैं, लेकिन बात जब बिहार की आती है तो वह बागी तेवर अपना लेते हैं. वो ऐसे समय में नीतीश कुमार सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं, जब वहां पर कुछ महीने बाद चुनाव होने हैं. चिराग की लोक जनशक्ति पार्टी नीतीश की अगुवाई में ही बिहार में चुनाव लड़ने की बात कह रही है. लेकिन उनका मिजाज इससे अलग हैं. वह कानून-व्यवस्था को सही रखने के लिए नीतीश सरकार को नसीहत भी देते हैं. तो क्या ऐसा मान लिया जाए कि वो किसी खास योजना पर काम कर रहे हैं. कहीं वह 5 साल पहले वाले अपने ही पुराने मिशन मोड पर जाने की तो नहीं सोच रहे?

‘नीतीश सरकार का समर्थन करने पर दुख’

चिराग पासवान ने नीतीश सरकार पर अपराधियों के सामने नतमस्तक होने का आरोप लगाया. साथ ही यह भी कहा कि उन्हें नीतीश कुमार सरकार का समर्थन करने पर दुख हो रहा है. वो कहते हैं, ऐसा लगता है कि बिहार पुलिस अपराधियों के सामने नतमस्तक हो गई है. यहां स्थिति भयावह है और अफसोस होता है कि मैं एक ऐसी सरकार का समर्थन कर रहा हूं जो कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने में नाकाम साबित हो रही है. हमें ऐसी घटनाओं के पीड़ितों के दर्द के बारे में सोचना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री आगे कहते हैं, “मैं आपसे यह वादा करता हूं कि विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में अपराध को जड़ से खत्म कर दिया जाएगा. अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजा जाएगा. राज्य में नई सरकार बनेगी जो बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट पर काम करेगी.” चिराग के बागी तेवर को देखते हुए नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) भी भड़क गई. जाहिर है कि जेडीयू ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया की और चिराग से कहा कि पहले वह यह तय कर लें कि उनकी पार्टी क्रिमिनल बैकग्राउंड वाले लोगों को पार्टी में शामिल न करे.

नीतीश कुमार पर हमला PK की तारीफ

चिराग पासवान एक ओर नीतीश सरकार पर हमलावर हैं तो दूसरी ओर रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर की खुलकर तारीफ कर रहे हैं. पिछले दिनों चिराग ने एक सवाल के जवाब में कहा था, वह बिहार की पॉलिटिक्स में प्रशांत किशोर की ईमानदार भूमिका की सराहना करते हैं, क्योंकि जो भी जाति, पंथ या धर्म की जगह राज्य के बारे में सोचता है, उसका वहां स्वागत है.

प्रशांत किशोर पिछले कुछ महीनों से बिहार की राजनीति में सक्रिय हो गए हैं. उन्होंने जन सुराज पार्टी का गठन किया और पूरे प्रदेश में ताबड़तोड़ रैली कर रहे हैं. लोगों से जनसंपर्क बढ़ा रहे हैं. माना जा रहा है कि उनका जनाधार तेजी से बढ़ा भी है. वह नीतीश और तेजस्वी दोनों पर हमला कर रहे हैं.

NDA में सीट शेयरिंग पर मंथन

चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) बिहार में एनडीए की अहम सहयोगी पार्टी है. इस गठबंधन में जनता दल यूनाइडेट भी शामिल है और वही राज्य में नीतीश कुमार की अगुवाई में सरकार चला रही है. बिहार विधानसभा में लोक जनशक्ति पार्टी की एक भी सीट नहीं है. अगले कुछ महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं और इसके लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) का अगुवाई वाले महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर बात चल रही है तो एनडीए में भी इस विषय पर गहन मंथन चल रहा है.

एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के अलावा चिराग पासवान की एलजेपी, केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) जैसी छोटी पार्टियां भी शामिल हैं जो बिहार में चुनाव लड़ना चाहती है और सभी अपने लिए अधिक से अधिक सीटें चाहती हैं.

2020 में चिराग ने बिगाड़ दिया था नीतीश का खेल

कयास लगाए जा रहे हैं कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू अपने लिए 100 से थोड़ी अधिक सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है. जबकि शेष सीट अन्य छोटे दलों को बांटी जा सकती है. 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में जनता दल यूनाइटेड ने 115 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे जबकि 110 सीटों पर बीजेपी ने अपनी प्रत्याशी खड़े किए थे. तब चुनाव से ठीक पहले चिराग पासवान ने ऐलान किया कि एलजेपी सिर्फ केंद्र में एनडीए के साथ है, बिहार में नहीं.

एलजेपी ने फिर 135 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया. पार्टी ने ज्यादातर उम्मीदवार जेडीयू के खिलाफ ही उतारे. हालांकि उसे महज एक सीट पर जीत हासिल हुई, जबकि 9 सीटों पर वह दूसरे नंबर पर रही. लेकिन वह नीतीश की पार्टी की जीत पर असर डालने में कामयाब रही. बीजेपी को 74 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि जेडीयू सिमट कर 43 सीटों पर आ गई. उसे पिछले चुनाव की तुलना में 28 सीटों का नुकसान हुआ. जबकि बीजेपी को 21 सीटों का फायदा हो गया. चिराग की वजह से बीजेपी को खासा फायदा हुआ.

चिराग की पार्टी को कम सीटें मिलने के आसार

लेकिन इस बार चिराग की पार्टी केंद्र और बिहार दोनों ही जगहों जगहों पर एनडीए के साथ है. वह सीट शेयरिंग से पहले एनडीए के प्रमुख दलों बीजेपी और जेडीयू पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्हें बिहार में ज्यादा से ज्यादा सीटें मिल जाए. वह लगातार बिहार पर फोकस कर रहे हैं. वह खुद को मुख्यमंत्री पद के दावेदार के रूप में पेश करते हैं. प्रेशर पॉलिटिक्स के जरिए वह एनडीए में अपनी स्थिति कमजोर नहीं करना चाहते हैं.

केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी HAM को पिछले चुनाव में 7 सीटें मिली थीं और वह शानदार प्रदर्शन करते हुए 4 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. मांझी की पार्टी बिहार में लगातार मजबूत होती दिख रही है, ऐसे में यही कयास लगाए जा रहे हैं कि उनकी पार्टी को पिछली बार की तुलना में अधिक सीटें मिल सकती है. कुशवाहा की पार्टी को भी कुछ सीटें मिलेंगी. ऐसे में चिराग के कोटे में कम सीटें आने की उम्मीद है.

शायद यही वजह है कि चिराग चाहते हैं कि बिहार में सत्ता पक्ष खासकर नीतीश और उनकी पार्टी पर हमला करते हुए राज्य में अपनी जगह बनाए रखी जाए. और एनडीए में सीट शेयरिंग की बात नहीं बनने की सूरत में एक नए विकल्प के रूप में प्रशांत किशोर के साथ भी जाया जा सकता है. प्रशांत किशोर बिहार में लगातार काम कर रहे हैं, उनकी रैलियों में भारी भीड़ भी जुट रही है. उनके साथ जाने का सौदा घाटे का नहीं होगा. हालांकि यहां यह बात दीगर है कि वह बीजेपी और उनके नेताओं के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे हैं. अब नजर इस पर है कि सीट शेयरिंग के फॉर्मूले में किसे कितनी सीटें मिलती हैं और क्या बीजेपी एनडीए में सभी घटक दलों को राजी कर पाएगी.