वाराणसी में गंगा का जलस्तर सोमवार दोपहर दो बजे तक 72.06 मीटर रहा, जो कि खतरे के निशान से करीब एक मीटर ऊपर है. अब प्रशासन की नजर गंगा के जलस्तर पर बनी हुई है, जो कि अभी भी 0.5 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रहा है. गंगा के जलस्तर का असर वरुणा और गोमती पर भी है. वाराणसी के ग्रामीण इलाके भी पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में हैं. 1999 और 2013 के रिकॉर्ड को तोड़कर गंगा अब 1978 के 73.9 मीटर के रिकॉर्ड की तरफ बढ़ रही हैं.
गंगा घाट से शहर की तरफ बढ़ रही हैं. शहर के कई इलाकें पानी की चपेट में हैं और सड़कों पर नावें चलने लगी हैं. गंगा के बढ़ते जलस्तर से अस्सी, सामने घाट, नगवां और गंगोत्री विहार कॉलोनी बुरी तरह से प्रभावित हैं, जबकि वरुणा के बढ़ते जलस्तर से नक्खी घाट का इलाका, सलार पुर, कोनिया के इलाके से सैकड़ों लोगों को बाढ़ राहत शिविर में आश्रय लेना पड़ा है.
53 गांव और 24 वार्ड बाढ़ की चपेट में
बाढ़ राहत पर सरकार की तरफ से जानकारी देते हुए प्रभारी मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि गंगा और उसकी सहायक नदियों के जलस्तर के बढ़ने से 53 गांव और 24 वार्ड प्रभावित हैं. करीब 2100 परिवारों के 12,000 लोगों को बाढ़ राहत शिविर केंद्रों में आश्रय दिया गया है. वाराणसी में कुल 46 बाढ़ राहत शिविर केंद्र बनाए गए हैं. कम्युनिटी किचन के माध्यम से सुबह का नाश्ता, दोपहर का खाना और रात का भोजन दिया जा रहा है.
80 नावें लगाई गईं
जिला प्रशासन द्वारा कुल 80 नावें लगाई गई हैं. इसके अलावा एनडीआरएफ की 5 टीमें 19 मोटर बोट के साथ तैनात हैं. सुरेश खन्ना ने बताया कि बाढ़ की वजह से करीब 1900 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है. प्रभावित किसानों को विशेष अनुदान दिया जाएगा. पुलिस विभाग की तरफ से 24 नावों के साथ 226 पुलिसकर्मियों के साथ लगातार गश्त किया जा रहा है.
वहीं, बाढ़ के चलते महाश्मशान मणिकर्णिका घाट की छत पर तंग जगह पर ही शवदाह हो पा रहा है. यहां शवों को ले जाने के लिए शवयात्रियों को नाव के जरिए गंगा के पानी में उतरकर जाना पड़ रहा है. इसके अलावा काशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार तक गंगा का पानी पहुंच चुका है. महज कुछ ही सीढ़ी डूबने से बची हैं. इसके बाद विश्वनाथ धाम में गंगा के बाढ़ का पानी प्रवेश कर जाएगा.
11 क्यूआरटी बाढ़ क्षेत्रों में गश्त कर रहीं
11 क्यूआरटी द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में गश्त की जा रही है, ताकि बाढ़ प्रभावित इलाकों में चोरी न हो सके. ड्रोन के माध्यम से भी बाढ़ प्रभावित इलाकों की मॉनिटरिंग की जा रही है. लाउड स्पीकर और अनाउंसमेंट से लोगों को अलर्ट किया जा रहा है. 24 घंटे बाढ़ग्रस्त इलाकों की निगरानी के लिए बनाए गए बाढ़ कंट्रोल रूम अलर्ट मोड पर हैं. जिला प्रशासन, स्वास्थ्य, बिजली, शिक्षा, पुलिस और एनडीआरएफ के अधिकारी/कर्मचारी कंट्रोल रूम में एक्टिव हैं. बाढ़ कंट्रोल रूम नंबर भी जारी किए गए हैं. 0542-2508550, 2504170, 9140037137 एवं 1077 है.