पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज, 5 अगस्त को निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के आरएमएल अस्पताल में उन्होंने 78 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। सत्यपाल मलिक का गहरा नाता हरियाणा के दादरी से था। दरअसल, उनकी माता जुगनी देवी दादरी की रहने वाली थीं, जिस कारण उनका बचपन भी यहीं बीता। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शहीद दलबीर सिंह राजकीय मॉडल संस्कृति स्कूल, दादरी से प्राप्त की थी। दादरी से उनका जुड़ाव इतना गहरा था कि वे जब भी यहां आते, अपने बचपन की यादों को मंच से साझा किया करते थे।
दादरी से विशेष लगाव और सामाजिक जुड़ाव
फोगाट खाप-19 के प्रधान सुरेश फोगाट के अनुसार, सत्यपाल मलिक चार बार बाबा स्वामी दयाल धाम पर आए थे। अंतिम बार वे 15 जनवरी 2024 को दादरी आए थे, जबकि इससे पहले 2 जनवरी 2022 को भी उन्होंने यहां दर्शन किए थे। किसान आंदोलन के समर्थन के दौरान फोगाट खाप की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उस समय वे मेघालय के राज्यपाल थे और उन्होंने दादरीवासियों को मेघालय आने का न्योता भी दिया था।
खाप परंपरा के समर्थक
सत्यपाल मलिक खाप पंचायतों को समाज की अहम कड़ी मानते थे। उनका मानना था कि खापों ने समाज में मर्यादा, भाईचारे और सामाजिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
समाज हितैषी नेता के रूप में पहचान
फोगाट खाप-19 के प्रधान सुरेश फोगाट ने उन्हें एक बेबाक, दबंग और सच्चा राजनेता बताया। वहीं, खाप के सचिव नरसिंह सांगवान ने कहा कि सत्यपाल मलिक हर वर्ग के हितैषी थे और हमेशा किसान व जवान की आवाज उठाने के लिए तत्पर रहते थे। उनके निधन को समाज और देश के लिए एक बड़ी क्षति माना जा रहा है, जिसकी भरपाई संभव नहीं। उनका व्यक्तित्व महान था।

















