ढाई साल की लड़ाई के बाद मोहित मलिक बने बुवाना लाखु गांव के सरपंच, बीडीपीओ ने दिलाई शपथ

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पानीपत : ढाई साल की लड़ाई लड़ने के बाद आखिरकार बुवाना लाखु गांव के मोहित मलिक ने सरपंच पद की शपथ ले ही ली। मोहित मलिक को आज इसराना बीडीपीओ कार्यालय में सैकड़ों ग्रामीणों के बीच में शपथ दिलवाई गई। शपथ दिलवाते ही पूरे गांव में खुशी का माहौल बन गया और फूल मलाई और मिठाइयां खिलाकर सरपंच मोहित मलिक को खूब बधाइयां दी गई।

इस दौरान सरपंच मोहित मलिक ने बताया कि यह सच्चाई की जीत हुई है उन्होंने जो ढाई साल तक लड़ाई लड़ी यह उसका परिणाम है कि आज उन्हें सरपंच बनाया गया है। सरपंच मोहित मलिक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि पूरे गांव के साथ मिलकर रहूंगा और विकास कार्य करूंगा। बता दें कि पंचायती राज संस्थाओं के तहत 2 नवंबर को संपन्न हुए ग्राम पंचायत चुनाव में गांव बुआना लाखू में एक अफसर की मामूली चूक की वजह से कुछ घंटे के लिए दो सरपंच बन गए थे। प्रशासन ने भी दोनों को विजेता का प्रमाणपत्र दे दिया था, लेकिन कुछ ही देर में यह गलती भारी पड़ गई।

रि-काउंटिंग से जीता हुआ विजेता हार गया। अफसरों ने जब पड़ताल की तो गलती पकड़ में आ गई, जिसके बाद रात में ही रिजल्ट संशोधित कर विजेता को प्रमाणपत्र देकर दूसरे को दिए गए प्रमाण पत्र को रद्द कर दिया गया। पड़ताल में सामने आया कि गांव के एक बूथ पर बैठे पीठासीन अधिकारी से दोनों प्रत्याशियों के परिणाम की अदला बदली हो गई। जब सभी बूथों का कुल योग किया गया तो विजेता हार गया और दूसरे नंबर पर रहने वाला प्रत्याशी जीत गया।

गांव के लोगों ने जब इसकी बूथ वार गणना की तो उन्हें पता चला कि यह गलती हुई है। प्रशासन को इससे अवगत कराया गया, जिसके बाद रिटर्निंग अधिकारी ने संशोधित रिजल्ट को अपडेट करते हुए विजेता को प्रमाणपत्र दिया और पहले वाले प्रत्याशी के प्रमाणपत्र को रद्द करने के लिए भी लिख दिया। पंचायती चुनाव में सरपंच पद के दावेदारों में बुआना लाखू गांव से 7 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे। इनमें से दो प्रत्याशियों कुलदीप और मोहित में कड़ा मुकाबला था। इस गांव में बूथ नंबर 65, 66, 67, 68, 69 और 270 बनाए गए थे। प्रिजाइडिंग ऑफिसर से बूथ नंबर 69 पर गलती से रिजल्ट बदल गया।

यहां प्रत्याशी मोहित को मिले वोट कुलदीप के खाते में जुड़ गए और कुलदीप के वोट मोहित के खाते में जुड़ गए, जिसके बाद सभी बूथों के योग के आधार पर कुलदीप को विजयी घोषित कर दिया गया। कुलदीप को विजेता का प्रमाणपत्र भी दे दिया गया। गलती पकड़ में आने पर रिजल्ट को बदलते हुए मोहित को विजेता घोषित किया गया।