हरियाणा में अब कॉलेज बनेंगे Mini-University, एक छत के नीचे मिलेगा सबकुछ, जानें पूरी डिटेल

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चंडीगढ़ : नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के ‘ऑटोनोमस कॉलेज’ प्रावधान के तहत, हर जिले का एक सरकारी कॉलेज को ‘संस्कृति मॉडल कॉलेज’ में अपग्रेड करने का रोडमैप उच्चतर शिक्षा परिषद और हॉयर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने मिलकर तैयार किया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी इस प्रोजेक्ट को मंजूरी भी दे चुके हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत चरणबद्ध तरीके से आने वाले समय में संस्कृति मॉडल कॉलेजों को ‘क्रिएटिव ऑटोनोमस कॉलेज’ बनाया जाएगा।

आने वाले समय में इन कॉलेजों की किसी भी यूनिवर्सिटी से संबद्धता नहीं होगी। ये पूरी तरह से स्वतंत्रत होंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक लैब, इंडस्ट्री लिंक और इनोवेशन सेंटर से लैस ये संस्थान भविष्य के मल्टी-डिसिप्लिनरी हब बनेंगे। साथ ही, इन कॉलेजों के विद्यार्थियों को रिसर्च के अवसर भी मिलेंगे। अलग-अलग विषयों के अलावा फ्यूचर की डिमांड्स के हिसाब से विद्यार्थी यहां रिसर्च वर्क कर सकेंगे।

हरियाणा अब उच्च शिक्षा के नक्शे पर देश को नई दिशा देने जा रहा है। अगले कुछ महीनों में प्रदेश के 22 सरकारी कॉलेज अपनी पहचान बदलने वाले हैं। ये सिर्फ क्लासरूम और लैब तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि ‘मिनी-यूनिवर्सिटी’ बनकर अपने कोर्स खुद डिज़ाइन करेंगे। डिग्री खुद देंगे और छात्रों को पढ़ाई के साथ कमाने का मौका भी देंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की इस बजट घोषणा को सिरे चढ़ाने की तैयारियां तेज हो गई हैं।

शिक्षा मंत्री से कर चुके हैं बैठक

मुख्यमंत्री के ओएसडी और उच्चतर शिक्षा परिषद के चेयरमैन रहे राज नेहरू इस मिशन की कमान संभाले हुए हैं। कई दौर की मीटिंग और ग्राउंड सर्वे के बाद कॉलेजों का चयन किया है। योजना साफ है – अगले 15 वर्षों में पारंपरिक ‘अफिलिएटेड कॉलेज’ सिस्टम खत्म होगा और हर कॉलेज या तो ऑटोनोमस बनेगा या यूनिवर्सिटी का हिस्सा। राज नेहरू इस प्रोजेक्ट को लेकर शिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा के साथ भी बैठक कर चुके हैं।

सीखते-सीखते कमाई का मॉडल

इन कॉलेजों में कम से कम 10 प्रतिशत कोर्स ‘लर्न एंड अर्न’ मॉडल पर होंगे। मतलब, छात्र डिज़ाइन, मीडिया आर्ट्स, एंटरप्रेन्योरशिप या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ते हुए लाइव प्रोजेक्ट्स पर काम कर सकेंगे और वहीं से आमदनी भी होगी। बड़े कॉरपोरेट्स और इंडस्ट्री पार्टनर्स के साथ एग्रीमेंट की तैयारी चल रही है।

इंजीनियरिंग से फिल्म मेकिंग तक–सब एक जगह

मॉडल कॉलेज विज्ञान, कला, वाणिज्य, तकनीक और क्रिएटिव फील्ड्स को एक ही छत के नीचे लाएंगे। एक छात्र यहां इंजीनियरिंग पढ़ते हुए साथ में फिल्म मेकिंग का कोर्स भी कर सकेगा, या फिर बायोटेक्नोलॉजी के साथ स्टार्टअप इनोवेशन लैब में काम कर सकेगा। उद्देश्य है – कॉलेज सिर्फ डिग्री फैक्ट्री न बनें, बल्कि रचनात्मक सोच और स्किल डेवलपमेंट के सेंटर बनें।

गुणवत्ता होगी पहली शर्त

ऑटोनोमस दर्जा तभी मिलेगा जब कॉलेज नैक से उच्च रेटिंग लेगा। नियमित क्वालिटी ऑडिट और परफॉर्मेंस रिव्यू होंगे। स्टाफ को इंटरनेशनल लेवल ट्रेनिंग दी जाएगी और कोर्स मार्केट की डिमांड के हिसाब से अपडेट होंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि हरियाणा का यह कदम आने वाले वर्षों में पूरे देश के लिए मिसाल बनेगा। यहां के ‘संस्कृति मॉडल कॉलेज’ न केवल स्थानीय युवाओं को नई ऊंचाई देंगे, बल्कि उच्च शिक्षा में भारत का चेहरा भी बदलेंगे।

शिक्षा मंत्री महिपाल सिंह ढांडा ने बताया कि हरियाणा सरकार मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में शिक्षा में गुणवत्ता लाने की कोशिश में जुटी है। स्कूली शिक्षा से लेकर हॉयर एजुकेशन तक को हाईटेक किया जा रहा है। सभी 22 जिलों में मॉडल संस्कृति कॉलेज बनेंगे। ये आधुनिक सुविधाओं से लैस होंगे। नये कोर्स भी इनमें शुरू होंगे, जो पूरी तरह से रोजगारपरक होंगे। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने वाला हरियाणा, देश का पहला राज्य बनने जा रहा है।

क्या बदलेगा, छात्रों को क्या मिलेगा

डिग्री का अधिकार खुद कॉलेज को (किसी यूनिवर्सिटी से संबद्धता नहीं, डिग्री सीधे कॉलेज के नाम से)

कोर्स डिज़ाइन की पूरी स्वतंत्रता (मार्केट की डिमांड और नई टेक्नोलॉजी के अनुसार नया सिलेबस)

‘सीखते-सीखते कमाई’ का मौका (लाइव प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्री टाई-अप से स्टूडेंट्स को इनकम)

मल्टी-डिसिप्लिनरी अप्रोच (इंजीनियरिंग, फिल्म मेकिंग, डिज़ाइन, एआई – सब एक ही जगह)

वर्ल्ड-क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर (मॉडर्न लैब, इनोवेशन सेंटर, इंडस्ट्री पार्टनरशिप और स्किल डेवलपमेंट हब)

रिसर्च सेंटर की तरह करेंगे काम (ये खुद को रिसर्च-इंटेंसिव यूनिवर्सिटीज में विकसित कर सकते हैं)