सुप्रीम कोर्ट ने सोनीपत स्थित अशोक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ दर्ज एक मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) के आरोपपत्र पर मजिस्ट्रेट को संज्ञान लेने से रोक दिया। प्रोफेसर खान पर ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट डालने के लिए मामला दर्ज किया गया था।
हरियाणा पुलिस ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि उसने प्रोफेसर खान के खिलाफ एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है और ऑपरेशन सिंदूर पर सोशल मीडिया पोस्ट डालने के में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने सोमवार को उस प्राथमिकी को रद्द कर दिया जिसमें क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई थी। दूसरी प्राथमिकी के संबंध में पीठ ने मजिस्ट्रेट को उसका संज्ञान लेने से रोकते हुए अंतरिम आदेश पारित किया। याचिकाकर्ता प्रोफेसर खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पीठ को बताया कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने सोशल मीडिया टिप्पणियों के लिए भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (राष्ट्र की संप्रभुता पर हमला करने वाले अपराधों से संबंधित) का उपयोग किया।
सिब्बल ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट अब धारा 152 की सांविधानिकता की जांच कर रहा है। अदालत ने 21 मई को प्रोफेसर खान को अंतरिम जमानत दे दी थी। साथ ही हरियाणा के डीजीपी को एक विशेष जांच दल गठित करने का निर्देश दिया था ताकि इन दोनों ऑनलाइन पोस्टों में प्रयुक्त वाक्यांशों की जटिलता को समग्र रूप से समझा जा सके और कुछ अभिव्यक्तियों का उचित मूल्यांकन किया जा सके।पिछली तारीख पर अदालत ने पूछा था कि हरियाणा पुलिस की एसआईटी गलत दिशा में क्यों जा रही है। उसने कहा था कि एसआईटी का गठन विशेष रूप से दो सोशल मीडिया पोस्टों की जांच के लिए किया था और पूछा था कि दायरा क्यों बढ़ाया जा रहा है।
18 मई को हुए थे गिरफ्तार
दो प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 18 मई को हरियाणा पुलिस ने प्रोफेसर खान को गिरफ्तार किया था। ऑपरेशन सिंदूर पर उनके विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट से देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरा होने का आरोप है। एक प्राथमिकी हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत और दूसरी एक गांव के सरपंच की शिकायत पर सोनीपत जिले की राई पुलिस ने दर्ज की थीं। उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 152 सहित अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था।