अब भारत में ही बनेंगे ड्रोन के पार्ट्स, हिसार के सिसाय में बनेगा दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा ड्रोन हब

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चंडीगढ़: सोमवार 8 सितंबर 2025 को हरियाणा मुख्यमंत्री निवास पर ड्रोन पायलटों और तकनीशियनों के दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ. इस मौके पर सीएम नायब सैनी ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय से प्रमाणित 252 ड्रोन पायलटों और 136 ड्रोन तकनीशियनों को प्रमाण पत्र वितरित किए. इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष 2047 तक विकसित भारत के विजन को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने ‘विकसित हरियाणा’ की ठोस रूपरेखा तैयार की है.” इस दिशा में हरियाणा को ड्रोन टेक्नोलॉजी, नवाचार और नई तकनीक का हब बनाने की पहल की जा रही है.

हिसार में ड्रोन विनिर्माण टेक्नोलॉजी हब

 मुख्यमंत्री ने कहा कि “ये उपलब्धि हरियाणा की ड्रोन टेक्नोलॉजी में लंबी छलांग है. हिसार जिले के गांव सिसाय में देश का पहला ड्रोन विनिर्माण टेक्नोलॉजी हब स्थापित किया जा रहा है, जो दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा हब होगा. इसमें ड्रोन के विनिर्माण, मरम्मत और प्रशिक्षण की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी.” मुख्यमंत्री ने सेना और सशस्त्र बलों के लिए 5 ड्रोन का ई-लोकार्पण तथा गांव सिसाय में बने एवीपीएल इंटरनेशनल के एग्रीकल्चर ड्रोन पवेलियन का उद्घाटन भी किया. उन्होंने कहा कि “हरियाणा के मेहनती युवा ड्रोन टेक्नोलॉजी में नई ऊंचाइयां हासिल कर रहे हैं.”

388 ड्रोन पायलटों व तकनीशियनों में से 53 बेटियां

सीएम ने कहा “प्रमाणित 388 ड्रोन पायलटों व तकनीशियनों में से 53 बेटियां हैं, जो महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश कर रही हैं. प्रधानमंत्री की शुरू की गई ‘नमो ड्रोन दीदी’ और ‘किसान ड्रोन’ जैसी योजनाएं ग्रामीण समुदाय और किसानों को सशक्त बना रही हैं. ड्रोन से खेती-किसानी में समय और श्रम की बचत हो रही है, साथ ही उत्पादन और आय में भी बढ़ोतरी हो रही है.” इस मौके पर ईटीवी भारत ने एवीपीएल इंटरनेशनल की डायरेक्टर प्रीत संधू से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने कृषि ड्रोन से संबंधित विषय के साथ ही हरियाणा में इस क्षेत्र को लेकर अपनी बात रखी.

‘ड्रोन के लिए टेक्नोलॉजी की समझ जरूरी’

 एवीपीएल इंटरनेशनल की डायरेक्टर प्रीत संधू ने कहा कि “किसी भी देश की नींव उसके ट्रेंड युवा होते हैं. जब हो इस क्षेत्र में कम कर रहे थे, तो हमें पता था कि युवाओं को ट्रेन होना चाहिए, उसको टेक्नोलॉजी की समझ होनी चाहिए. इसके लिए हमने ड्रोन बनाने से पहले ड्रोन पायलट बनाने पर फोकस किया. इसके लिए हमने सबसे पहले एग्रीकल्चर ड्रोन को उठाया. क्योंकि जीडीपी में कृषि का सबसे बड़ा कंट्रीब्यूशन है. हमने किसान ड्रोन ऑपरेटर को तैयार किया है. यह बच्चे ना सिर्फ रोजगार के लिए तैयार हैं बल्कि वे अपना कारोबार भी इस क्षेत्र में कर सकते हैं. वह अपने हुनर से किसानों को अपनी सेवाएं भी दे सकते हैं.”

ड्रोन के टेक्निशन तैयार किए जा रहे

 प्रीत ने कहा कि “तैयार युवाओं को पता है कि ड्रोन से कैसे दवा और बीज का छिड़काव करना है. जब आपदा के वक्त ड्रोन का इस्तेमाल हो रहा है इसकी जानकारी तो सबको है, लेकिन उसमें भविष्य कैसे बनाए इसकी जानकारी बच्चों को नहीं है. हमारा फिक्स बच्चों के प्रशिक्षण पर है. ड्रोन के टेक्नीशियन मिलना मुश्किल होता है. हमने टेक्नीशियन भी तैयार किए हैं.”

‘ड्रोन से स्टार्टअप पर फोक्स’

 एवीपीएल इंटरनेशनल की डायरेक्टर ने कहा “ऑपरेशन सिंदूर में जब ड्रोन की जरूरत हुई तो उसके कंपोनेंट की जरूरत पड़ी. तब हमें पता चला कि इसके सामान के लिए हम अन्य देशों पर निर्भर हैं. ऐसे में हम कैसे इस क्षेत्र में सक्षम होंगे. इसलिए हमारा फोकस कंपोनेंट और ड्रोन एक जगह बने इस पर है. ताकि इस क्षेत्र में शुरू हो रहे किसी भी स्टार्टअप को कोई दिक्कत न हो. इसलिए हिसार के पास हमने एक प्रोजेक्ट लगाया है. यहां पर एक ही जगह ड्रोन के पार्ट्स भी बनेंगे और ड्रोन भी. इससे ड्रोन की कीमत पर भी कम होगी.” इस दौरान उन्होंने कृषि ड्रोन की भी जानकारी साझा करते हुए यह किस तरह कम करते हैं यह भी जानकारी दी.