गुजरात के जूनागढ़ में मौजूद महाबत मकबरा काफी मशहूर है. यहां लोग घूमने के लिए आते हैं. ये मकबरा अपने अंदर एक इतिहास समेटे हुए है. इस मकबरे का नाम महाबत खानजी के नाम पर रखा गया है. महाबत खानजी जूनागढ़ के नवाबों में से एक थे, जिन्होंने 1851 से 1882 तक शासन किया था. उनके नाम को अमर बनाने के लिए इस मकबरे का नाम महाबत मकबरे रखा गया.
बाबी वंश के नवाब जूनागढ़ के शासक थे. महाबत मकबरे का निर्माण 1879 में नवाब महाबत खान द्वितीय (1851-82) ने शुरू कराया था और 1892 में उनके उत्तराधिकारी नवाब बहादुर खान तृतीय ने इसे पूरा कराया था. वर्तमान में, इस स्मारक को गुजरात प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और अवशेष अधिनियम, 1965 के तहत राज्य की ओर से संरक्षित धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है.
उत्तर में स्थित मकबरा का निर्माण नवाब महाबत खान द्वितीय के वजीर (मंत्री) शेख बहाउद्दीन हुसैन ने 1891 और 1896 के बीच अपने पैसों से किया था. इस मकबरे को आमतौर पर बहाउद्दीन मकबरा या वजीर का मकबरा के रूप में जाना जाता है.
यह मकबरा अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें इंडो-इस्लामिक, गोथिक और यूरोपीय शैलियों का मिश्रण है. मकबरे के अंदर और बाहरी हिस्से में खूबसूरत नक्काशी की गई है, जिसमें पीले रंग की सजावट वाला एक हल्के भूरे रंग का मेहराब भी शामिल है.
मकबरे में प्याज के साइज गुंबद, फ्रांसीसी खिड़कियां, मूर्तियां, संगमरमर की नक्काशी, संगमरमर के पिलर और जालियां, चांदी के दरवाज़े हैं, जो इस मकबरे की खूबसूरती को चार चांद लगा देते हैं.
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