बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य के बयान पर नाराजगी जताई है. उन्होंने बिना नाम लिए कहा कि कुछ साधु संत सुर्खियों में बने रहने के लिये बयानबाजी करते हैं. उन्हें बाबा साहब के अतुल्य योगदान के बारे में सही जानकारी नहीं हैं इसलिए गलत बयानबाजी करने से अच्छा है कि वो चुप रहें.
आगे लिखा कि साथ ही, बाबा साहेब के अनुयायी, मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं? उसे भी इनको अपनी जातिवादी द्वेष की भावना को त्याग कर जरूर समझना चाहिये. इसके साथ-साथ, इन्हें यह भी मालूम होना चाहिये कि बाबा साहेब महान विद्वान व्यक्तित्व थे. इस मामले में कोई भी टीका-टिप्पणी करने वाले साधु-संत, इनकी विद्वता के मामले में कुछ भी नहीं हैं. अतः इस बारे में भी कुछ कहने से पहले इनको ज़रूर बचना चाहिये, यही नेक सलाह.
क्या बोले थे जगद्गुरु रामभद्राचार्य?
मायावती की ये टिप्पणी जगद्गुरु रामभद्राचार्य की टिप्पणी के एक दिन बाद सामने आई है. हालांकि इस पोस्ट में उन्होंने किसी का भी नाम नहीं लिया है. बल्कि सभी को चुप रहने की सलाह दी है. रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्यू के दौरान डॉ अंबेडकर पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा कि था कि डॉ अंबेडकर का संस्कृत भाषा का ज्ञान नहीं था. अगर उन्हें संस्कृत आती तो वो मनुस्मृति का अपमान नहीं करते. इस बयान के बाद से बवाल मचा हुआ है.

















