‘नेटवर्किंग’ के झांसे में फंसे हरियाणा के प्रिंसिपल, छेड़छाड़ के बाद अब लाखों की ठगी के आरोप

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अंबाला। महिला शिक्षिका के साथ छेड़छाड़, द्विअर्थी संवादों और अश्लील मैसेज भेजने जैसे गंभीर आरोपों में फंसे छावनी स्थित एक शिक्षण संस्थान के प्रिंसिपल अब लाखों रुपये की अनियमितता के प्रकरण में फंस गए हैं।

मामला संस्थान की कंप्यूटर नेटवर्किंग से जुड़ा है। सरकार द्वारा सिर्फ 40,000 की तकनीकी व्यवस्था के लिए प्रिंसिपल को स्वीकृति दी गई थी, लेकिन प्रिंसिपल ने इससे 16 गुना अधिक, यानी 6.40 लाख का बिल मुख्यालय को भेज दिया। वह भी बिना किसी पूर्व स्वीकृति के।

बिलों की जांच में सामने आया कि कोटेशन करीब छह माह पुरानी है और कई बिलों में यह तक नहीं दर्शाया गया कि किन सेवाओं या सामानों के लिए भुगतान मांगा जा रहा है।

बिल वही, फर्म वही… जगह बदली

हैरानी की बात यह है कि नेटवर्किंग के ये सभी बिल अंबाला शहर के जगाधरी गेट की एक ही फर्म से जुड़े हैं। यही नहीं, उक्त फर्म ने लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित एक अन्य संस्थान में भी नेटवर्किंग का काम किया था।

चौकाने वाली बात यह थी कि वहां भी उस समय यही प्रिंसिपल थे जो जिन्होंने अब छावनी में शिक्षण संस्थान में नेटवर्किंग का जाल बिछवाया है।

पहले हो चुकी थी नेटवर्किंग, फिर दोबारा क्यों?

पूर्व प्रिंसिपल के कार्यकाल में संस्थान की कंप्यूटर लैब में पहले ही नेटवर्किंग करवाई जा चुकी थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि दोबारा इतने बड़े पैमाने पर नेटवर्किंग की जरूरत क्यों पड़ी? क्या यह सिर्फ बिलिंग के लिए एक दिखावा था?

मुख्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संयुक्त निदेशक को जांच सौंपी है। निदेशक ने 15 सितंबर को पूरे स्टाफ को संस्थान में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का आदेश जारी किया है।

यह स्पष्ट कर दिया गया है कि उस दिन कोई भी कर्मचारी अवकाश पर नहीं रहेगा। जांच अधिकारी स्वयं उपस्थित होकर पूरी स्थिति का मूल्यांकन करेंगे।

छेड़छाड़ मामले में भी ”प्रिंसिपल साहब” फरार, लेकिन सभी के संपर्क में…

महिला शिक्षक के साथ छेड़छाड़ व अश्लील मैसेज भेजने के मामले में 26 अगस्त को एफआइआर के बाद से ही प्रिंसिपल अवकाश पर हैं।

लेकिन इस दौरान भी वे पूरी तरह सक्रिय हैं-ईमेल, वॉट्सएप ही नहीं बल्कि पत्रों के माध्यम से स्टाफ से लगातार संपर्क में बनाए हुए हैं और उन्हें छुट्टी के बावजूद निर्देश भी दे रहे हैं और बता भी रहे हैं कि उनसे कहां आकर मिलना है।

12 सितंबर को किए गए पत्राचार में उन्होंने कर्मचारियों के वेतन भुगतान और बिल क्लियरेंस के आदेश दिए हैं। यही नहीं, अपने जीरकपुर स्थित घर का पता भी पत्र में साझा किया है, ताकि संबंधित कर्मचारी बिल लेकर वहां पहुंच सकें और वे दस्तखत कर सकें।

लोकेशन उपलब्ध, मोबाइल ऑन… फिर भी पुलिस मौन

प्रिंसिपल अपने पत्राचार में मोबाइल नंबर भी दे रहे हैं और बार-बार अपनी लोकेशन भी स्पष्ट कर रहे हैं। इसके बावजूद, पुलिस की ओर से अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

यह स्थिति प्रशासनिक निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े कर रही है। हालांकि जांच अधिकारी का कहना है कि उनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है और गिरफ्तारी के लिए छापेमारी भी की जा रही है। यह हाल तब हैं जब प्रिंसिपल सभी को खुद अपनी लोकेशन लिखित पत्र के जरिए बता रहे हैं।

अब सवाल ये हैं:-

  • जब पहले से नेटवर्किंग हो चुकी थी, तो दोबारा 6.40 लाख रुपये क्यों खर्च किए गए?
  • 1928 से चल रहे इस शिक्षण संस्थान में यदि पहले नेटवर्किंग नहीं थी तो 308 बच्चे कैसे प्रशिक्षण ले रहे थे?
  •  मुख्यालय से स्वीकृति सिर्फ 40 हजार की थी, तो अतिरिक्त खर्च कैसे और क्यों?
  • छह माह पुरानी कुटेशन को आधार बनाकर बिल क्यों बनाया गया?
  • क्या पूरी व्यवस्था को चुपचाप लपेटने की कोशिश है?
  • पुलिस किस दबाव में है जो उपलब्ध लोकेशन के बावजूद गिरफ्तारी नहीं कर रही?

अगला पड़ाव: 15 सितंबर की जांच

अब सबकी निगाहें 15 सितंबर पर टिकी हैं, जब संयुक्त निदेशक जांच कमेटी के साथ खुद आकर इस मामले की तह तक जाने की कोशिश करेंगे।

लिहाजा उस दिन आर्थिक अनियमितता की परतें विस्तार से खुल सकती हैं। देखना यह भी होगा कि केस दर्ज होने के बाद से छुट्टी पर चल रहे प्रिंसिपल संस्थान में आएंगे या नहीं क्योंकि उन्हें भी जांच में शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।

अभी प्रिंसिपल का पता नहीं चल रहा। उनकी लोकेशन ट्रेस की जा रही है और उनकी तलाश जारी है।