भिवानी: भिवानी के भीम स्टेडियम में 58वीं हरियाणा राज्य स्तरीय स्कूली खेल प्रतियोगिता का शुभारंभ हो चुका है. तीन दिवसीय इस प्रतियोगिता का उद्घाटन भिवानी-महेन्द्रगढ़ लोकसभा क्षेत्र से भाजपा सांसद चौधरी धर्मबीर सिंह ने किया. इस मौके पर उन्होंने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि, “हर बच्चे को कम से कम एक खेल जरूर अपनाना चाहिए, क्योंकि खेल न केवल शरीर को स्वस्थ रखते हैं बल्कि अनुशासन और टीम वर्क भी सिखाते हैं.”
हरियाणा की खेल उपलब्धियों का सांसद ने किया उल्लेख: सांसद धर्मबीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, “हरियाणा के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर लगातार उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं, चाहे वह ओलंपिक, एशियन गेम्स या कॉमनवेल्थ जैसे बड़े टूर्नामेंट हों. इन उपलब्धियों की नींव स्कूली स्तर पर होने वाली खेल प्रतियोगिताओं से ही रखी जाती है. केंद्र और राज्य सरकार खेलों के विकास के लिए विशेष प्रयास कर रही हैं. हर खेल की अलग-अलग फेडरेशन बनाई गई हैं और हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र में खेल आयोजन के निर्देश दिए गए हैं, ताकि युवा प्रतिभाओं को मंच मिल सके.”
सांसद ने की खास अपील: सांसद धर्मबीर सिंह ने देश में बढ़ती बीमारियों और रासायनिक खेती के दुष्प्रभावों पर चिंता जताते हुए कहा कि, “डीएपी और यूरिया जैसी खादों से लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. देश हर साल दो लाख करोड़ रुपये की रासायनिक खादें आयात करता है, जिससे स्वास्थ्य के बदले बीमारी मिल रही है. मैं बच्चों और खिलाड़ियों से अपील करता हूं कि वे अपने परिवारों को जैविक (ऑर्गेनिक) खेती की ओर प्रेरित करें. अगर हम जैविक खेती को अपनाते हैं तो पहला सुख ‘निरोगी काया’ आसानी से प्राप्त किया जा सकता है.”
सरकार से देशी खाद उपलब्ध कराने की अपील: आगे सांसद धर्मबीर सिंह ने कहा कि, “वे केंद्र सरकार से आग्रह करेंगे कि जैविक खेती करने वाले किसानों को देशी खाद (जैविक खाद) उपलब्ध कराई जाए और उन्हें आर्थिक रूप से प्रोत्साहन दिया जाए. यह देश के स्वास्थ्य और भविष्य दोनों के लिए जरूरी है.”
बता दें कि प्रदेश में 58वीं राज्य स्तरीय स्कूली खेल प्रतियोगिता का यह शुभारंभ न केवल खेलों के महत्व को उजागर करता है, बल्कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए सांसद द्वारा दिए गए संदेश को भी बल देता है. तीन दिनों तक चलने वाली इस प्रतियोगिता में हरियाणा भर से सैकड़ों स्कूली खिलाड़ी भाग लेंगे.

















