चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा के पूर्व मंत्री और यमुनागर के जगाधरी से 2 बार विधायक रहे सुभाष चंद चौधरी, उनकी पत्नी, भाई और राजनीतिक सलाहकार समेत अन्य पर दर्ज लोन धोखाधड़ी मामले की आपराधिक कार्रवाई को रद्द करने से इनकार कर दिया है। यह आदेश जस्टिस त्रिभुवन दहिया ने पूर्व मंत्री के राजनीतिक सलाहकार दीप चंद की याचिका खारिज करते हुए दिए। याचिकाकर्ता ने दलील 7 दी थी कि उसने यमुनानगर सेंट्रल को आप्रेटिव बैंक से लिया गया लोन चुका दिया है, इसलिए उसके खिलाफ दर्ज एफ.आई.आर. रद्द की जाए।
सुभाष चौधरी फिलहाल कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं। यमुनानगर जिले की जगाधरी विधानसभा सीट से विधायक रह चुके चौधरी 1996 में प्रदेश सरकार में मंत्री रहे हैं। 15 अक्तूबर, 2018 को यमुनागर के थाना बुडिया में धोखाधड़ी, जालसाजी और साजिश रचने सहित अन्य धाराओं में एफ.आई.आर. दर्ज की गई थी। आरोप है कि पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी, उनकी पत्नी कुसुम रानी, भाई अशोक कुमार (तत्कालीन बैंक चेयरमैन), सलाहकार दीप चंद और अन्यों ने मिल कर जाली दस्तावेज और राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर लगभग 71 लाख रुपए के कृषि लोन ले लिए थे।
भुगतान से बचने के लिए जमीन को दिखाया बाड़ग्रस्त
अभियोजन पक्ष के अनुसार बंजर भूमि को उपजाऊ दिखाने के लिए फर्जी जमाबंदी और गिरदावरी तैयार की गई थी। इतना ही नहीं, आरोपियों ने लोन वापसी से बचने के लिए अपनी जमीन को बाढ़ग्रस्त बताने का झूठा दावा भी किया। राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि 16 मार्च, 2021 को चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और 8 जून, 2021 को ट्रायल कोर्ट आरोप तय कर चुका है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में एफ. आई.आर. रद्द करने से अपराधियों का हौसला बढ़ेगा और न्याय प्रणाली की जड़ें हिलेंगी।
आरोपियों के खिलाफ ट्रायल चलाने का रास्ता हुआ साफ
कोर्ट ने माना कि जांच के दौरान पर्याप्त सबूत सामने आए हैं जो आरोपियों की संलिप्तता साबित करते हैं। इस आधार पर याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने साफ किया कि आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और मुकद्दमा आगे चलेगा। इस फैसले के बाद पूर्व मंत्री सुभाष चौधरी, उनकी पत्नी कुसुम रानी, भाई अशोक कुमार, राजनीतिक सलाहकार दीप चंद और अन्य आरोपितों के खिलाफ ट्रायल का रास्ता साफ हो गया।