हरियाणा: सीधे DSP भर्ती हुए खिलाड़ियों को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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चंडीगढ़ : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने प्रदेश की पूर्व हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान खेल कोटे से सीधे डीएसपी भर्ती हुए खिलाड़ियों को झटका दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जिन अधिकारियों ने पहले प्रशिक्षण पूरा किया है और नौकरी कंफर्म हुई है, उन्हें वरिष्ठता में प्राथमिकता मिलेगी, भले ही उनकी नियुक्ति बाद में क्यों न हुई हो।

ममता खरब और अन्य ने खेल कोटा के तहत उनकी नियुक्ति के बाद उनकी वरिष्ठता उनकी शुरुआती नियुक्ति की तारीख से मिलाने की मांग की थी, ताकि उनको आईपीएस प्रमोशन की प्रक्रिया में उचित स्थान मिल सके। इसके जवाब में ओपन भर्ती के माध्यम से एचसीएस बने अधिकारियों ने भी एक याचिका दायर करके कहा था कि जब तक खेल कोटे से आए अधिकारी प्रशिक्षण और अंतिम परीक्षा पूरी नहीं कर लेते, उन्हें वरिष्ठता का लाभ नहीं मिलना चाहिए। खंडपीठ ने दोनों पक्षों की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद कहा कि डीएसपी पद पर नियुक्त अधिकारी का प्रशिक्षण और परीक्षा पास करना अनिवार्य है।

हाईकोर्ट के इस फैसले के साथ कई वर्ष से चले रहे विवाद का निपटारा हो गया है। यह मामला उन खिलाड़ियों से जुड़ा है जिन्हें ओलिंपिक, एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप जैसी अंतरराष्ट्रीय प्रतियगिताओं में पदक जीतने और राज्य व देश का नाम रोशन करने हरियाणा सरकार ने वर्ष 2007 और 2008-09 में डीएसपी (उप पुलिस अधीक्षक) के पद पर सीधी नियुक्ति दी थी। इन खिलाड़ियों ने अदालत में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि उनकी वरिष्ठता नियुक्ति की तिथि से मानी जाए, न कि प्रशिक्षण पूरा करने और सेवा कंफर्म होने की तिथि से मानी जाए। डीएसपी खिलाड़ियों का तर्क था कि नियमों के कारण उन्हें पदोन्नित में नुकसान हो रहा है। यह संविधान के तहर समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन है।