चंडीगढ़ की रामलीला में पेशेवरों का जलवा: डिलीवरी बॉय राम, चार्टर्ड अकाउंटेंट हनुमान बने नजर

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चंडीगढ़: शारदीय नवरात्र के साथ ही चंडीगढ़ में रामलीला मंचन की भी शुरूआत हो चुकी है. चंडीगढ़ में कुल 59 जगहों पर रामलीला का मंचन हो रहा है जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हो रही है. इन रामलीला में अलग-अलग शहरों से आए कलाकार मंच पर राम, रावण, सीता सहित अन्य किरदारों को जीवंत कर रहे हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि ये कलाकार पेशे से कलाकार नहीं बल्कि अलग-अलग प्रोफेशन से आते हैं.

पेशेवर निभा रहे किरदार : रामलीला में भगवान राम, सीता, रावण, हनुमान जैसे प्रमुख पात्र निभाने वाले लोग पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट, मैनेजर, HR एग्जीक्यूटिव, डिलीवरी बॉय जैसे अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हुए हैं. लेकिन श्रद्धा और सेवा भाव में सभी में एक समान हैं. मंच पर उतरने के बाद ये अपने अभिनय में ऐसे डूब जाते हैं, मानों वो किरदार मंच पर जीवंत हो गया हो. ईटीवी भारत की टीम चंडीगढ़ में हो रही रामलीला में अलग-अलग किरदार निभा रहे कलाकारों के बीच पहुंची और उनसे बातचीत की. इस दौरान चंडीगढ़ के संस्कृति मंच के निदेशक ज्योति स्वरूप भारद्वाज सहित सभी कलाकारों ने अपने-अपने अनुभव साझा किए.

पहले लड़के निभाते थे लड़कियों का किरदार: चंडीगढ़ के संस्कृति मंच के निदेशक ज्योति स्वरूप भारद्वाज ने बताया कि रामलीला का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और संस्कारों को समाज तक पहुंचाना है. उन्होंने कहा कि, “पहले लड़कियों के किरदार लड़के निभाते थे, अब समय के साथ बदलाव आया है. अब महिलाएं भी बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं.” ज्योति के पिता इस मंच के संस्थापक रहे हैं और अब उन्होंने यह जिम्मेदारी बेटे को सौंपी है. ज्योति कहते हैं कि वो खुद कभी-कभी रावण का किरदार मंच पर निभाते हैं. इस काम को करने में उनको काफी आनंद आता है. साथ ही पूरे 9 दिनों तक रामलीला के दौरान एक अलग ही सात्विक माहौल बन जाता है.

रावण बने मनोज शर्मा मंच को मानते हैं मंदिर: रामलीला के मंच पर मनोज शर्मा इस बार रावण की भूमिका निभा रहे हैं. मनोज शर्मा कहते हैं कि, “यह मंच हमारे लिए मंदिर है. रिहर्सल से लेकर मंचन तक हर एक काम हमारे लिए पूजा की तरह होता है. रावण वेदों का ज्ञाता और महान विद्वान था और राम से युद्ध को उसने मोक्ष का माध्यम माना.”

डिलीवरी बॉय से बने राम: चंडीगढ़ की रामलीला में इस बार जो भगवान राम की भूमिका निभा रहे हैं, उनका नाम करण राणा है. करण पिछले 20 वर्षों से रामलीला में हिस्सा ले रहे हैं. पहले करण डिलीवरी बॉय का काम करते थे. हालांकि अब करण अपना काम करते हैं. करण राणा ने ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि, ““रामलीला की रिहर्सल शुरू होते ही जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव आ जाता है. थकान महसूस नहीं होती, ये प्रभु की कृपा है.”

HR और मैनेजर निभा रही सीता का किरदार: चंडीगढ़ में सीता का किरदार निभा रही मीनाक्षी भट्ट पिछले चार वर्षों से सीता का किरदार निभा रही हैं. वो एक कंपनी में मैनेजर हैं. उनका कहना है कि, “ये मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि मुझे माता सीता की भूमिका निभाने का मौका मिलता है. रामलीला के दौरान हमारा रूटीन अलग होता है. हम ना सिर्फ उस किरदार को जीते हैं बल्कि काफी सात्विक माहौल हो जाता है.” वहीं, पेशे से HR एग्जीक्यूटिव शुभ्रा भी एक दूसरी रामलीला में सीता का किरदार निभा रही हैं. वे गुड़गांव की कंपनी में काम करती हैं. वर्क फ्रॉम होम लेकर चंडीगढ़ आई हैं. दिन में मीटिंग और रात को रामलीला दोनों काम को वो पूरी शिद्दत से निभा रही हैं. शुभ्रा कहती हैं कि, “हमें काफी आनंद आता है, ये करने में. एक अलग ही एनर्जी हमें मिल जाती है.”

चार्टर्ड अकाउंटेंट बनें हनुमान बने:पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट ललित ग्रोवर पिछले 20 सालों से रामलीला से जुड़े हैं. वहीं, पिछले 5 वर्षों से वे हनुमान का किरदार निभा रहे हैं. ललित ने बताया कि, “टीवी पर दारा सिंह को देखकर हनुमान बनने की प्रेरणा मिली. किरदार के लिए मैंने पुणे से स्पेशल इफेक्ट्स मास्क मंगवाया है और उसे चिपकाने वाला ग्लू अमेरिका से मंगवाया है. मुझे ये काम करने में बड़ा मजा आता है. पूरा माहौल रामलीला के दौरान भक्तिमय रहता है.”

बारिश के डर के बीच श्रद्धा बरकरार: लोगों का रामलीला के प्रति क्रेज काफी ज्यादा है, लेकिन लोगों को डर है कि कहीं बारिश रामलीला के रंग में भंग ना डाल दें. वहीं, रामलीला मंचन का आयोजन करा रहे लोगों ने अपनी ओर से सारी व्यवस्था कर ली है. बता दें कि रामलीला केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समर्पण, अनुशासन और सांस्कृतिक एकता का अद्भुत उदाहरण बन चुकी हैं. चंडीगढ़ में अलग-अलग पेशे से आने वाले लोग जब एक ही मंच पर रामायण के पात्रों को जीवंत करते हैं, तो ये दिखाता है कि आस्था के आगे समय, पेशा और व्यस्तता कोई मायने नहीं रखते.