मेवात का बरसाती प्याज बना NCR मंडियों का रुतबा, टेस्ट और क्वालिटी में सबसे बेहतरीन

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नूंह: इस बार मानसून में भारी बारिश के बावजूद हरियाणा के नूंह जिले में किसानों का प्याज प्रेम कम नहीं हुआ है. खेतों में किसान इस समय दिन-रात बरसाती प्याज की गंठी लगाने में जुटे हैं. खास बात यह है कि एनसीआर की मंडियों में मेवाती प्याज की मांग सबसे अधिक है. यह प्याज देशभर में स्वाद, गुणवत्ता और उत्पादन के मामले में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है.

क्या कहते हैं जिला बागवानी अधिकारी: इस बारे में नूंह जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने बताया कि “इस सीजन में अब तक 5000 हेक्टेयर भूमि में बरसाती प्याज की फसल लगाई जा चुकी है. हालांकि अधिक वर्षा के चलते करीब 1000 एकड़ भूमि में फसल कम लगाई गई है. नूंह के नगीना और फिरोजपुर झिरका क्षेत्र अरावली पर्वत की तलहटी में बसा है. यहां की मिट्टी में वह खास ताकत है जो देश के अन्य हिस्सों में देखने को नहीं मिलती.”

70 दिनों में तैयार होती है फसल: जिला बागवानी अधिकारी डॉ. अब्दुल रज्जाक ने आगे बताया कि, “बरसाती प्याज की फसल लगभग 70 दिन में तैयार हो जाती है, जिससे किसान अच्छा खासा मुनाफा कमा लेते हैं. जब यह प्याज एनसीआर की मंडियों में पहुंचती है, तो वहां इसकी वजह से प्याज के भाव में गिरावट आती है और आम जनता को राहत मिलती है.”

तीन फसलों से होती है तगड़ी कमाई: डॉ. अब्दुल रज्जाक की मानें तो यहां के किसान बरसाती प्याज के बाद उसी खेत में पछेती गेहूं और फिर तीसरी फसल लेकर एक साल में तीन फसलें उगाते हैं. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में बड़ा सुधार होता है.

हर हिस्सा देता है मुनाफा: किसान हरी प्याज की फालर (डंठल) भी पहले मंडियों में बेचकर मुनाफा कमाते हैं, बाद में बल्ब तैयार होने पर उसे मंडियों में भेजते हैं. प्याज का बल्ब बड़ा और चमकदार होता है, जिससे इसकी गुणवत्ता देश में सबसे बेहतर मानी जाती है.

सब्सिडी का मिलता है लाभ: डॉ. रज्जाक ने आगे बताया कि, “यहां के किसान स्प्रिंकलर और टपका सिंचाई प्रणाली का उपयोग करते हैं, जिससे पानी और समय की बचत होती है. मीकाडा योजना के तहत पंजीकरण कराने पर किसानों को 15,000 रुपए तक की सब्सिडी भी मिलती है.”