कुरुक्षेत्र में पहली बार तैयार हुई रावण की लंका, 65 फीट ऊंचे दशानन का दहन करेंगे हनुमान जी रिमोट कंट्रोल से

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कुरुक्षेत्र: बुराई पर अच्छाई की जीत के इस दशहरा पर्व की धूम आज देशभर में देखने को मिल रही है. जगह-जगह रावण के पुतले बनाए गए हैं. शाम के समय इन पुतलों का दहन होगा. हरियाणा के कुरुक्षेत्र में भी विजयदशमी का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से और प्रदूषण रहित मनाया जा रहा है. पहली बार 65 फुट ऊंचे रावण का रिमोट कंट्रोल से दहन किया जाएगा. पहली बार रावण की लंका बनाई गई है. जिसका हनुमान द्वारा दहन किया जाएगा. बीते 45 सालों से कुरुक्षेत्र का एक परिवार रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बना रहा है. अब परिवार की चौथी पीढ़ी ने भी यह काम संभाला हुआ है.

विजयदशमी की धूम: आज विजयदशमी का पर्व है विजयदशमी को बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर मनाया जाता है. जहां पर भगवान श्री राम द्वारा रावण के पुतले का दहन किया जाता है. यह पर्व सभी शहरों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. सीएम सिटी कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में हर साल की तरह इस बार भी विजयदशमी का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाएगा. आयोजन को लेकर तैयारियां पूरी कर ली गई हैं.

रिमोट से होगा रावण दहन: कारीगर समा खान ने बताया कि “इस बार कुरुक्षेत्र का दशहरा काफी अलग रहने वाला है. क्योंकि इस बार अब तक का सबसे लंबे रावण के पुतले का दहन कुरुक्षेत्र में किया जाएगा. थीम पार्क में इस बार 65 फीट ऊंचा रावण, 60 फुट का कुम्भकर्ण और 55 फुट के मेघनाद के पुतले जलाए जाएंगे. इनका दहन रिमोट के साथ किया जाएगा. कुरुक्षेत्र के दशहरा के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब इतना बड़ा रावण का पुतला बनाया गया है. उसका दहन रिमोट के साथ किया जाएगा. तो ऐसे में उम्मीद है कि इस बार दशहरा हर साल से और भी ज्यादा अच्छा रहेगा”.

45 सालों से खान परिवार बना रहा पुतले: समा खान ने बताया कि “वह पिछले 45 सालों से रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. काफी अच्छा लगता है. जब वह उनके पुतले बनाते हैं. क्योंकि यह बुराई पर अच्छाई का जीत का प्रतीक है. लेकिन दुख भी होता है कि उनकी कारीगरी एकदम से आग में जलकर नष्ट हो जाती है. हर साल की तरह पिछले 45 वर्षों से उत्तर प्रदेश से आए 18 कारीगर रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाद के पुतले तैयार करते आ रहे हैं. इस बार भी उन्होंने बड़े ही परंपरागत ढंग से पुतलों को अंतिम रूप दिया है”.

पुतला बनाने में लगता है 15 दिनों का समय: उन्होंने बताया कि “उनका परिवार चार पीढ़ियों से पुतला बनाने का काम करता है. केवल कुरुक्षेत्र में ही नहीं भारत के अलग-अलग राज्यों और शहरों में उनके परिवार द्वारा दशहरे पर पुतला बनाया जाता है और वह अब उनके परिवार की चौथी पीढ़ी में आते हैं. रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने की कमान संभाली हुई है, पुतले बनाने में करीब 15 दिनों का समय लग जाता है. दिन में घंटों काम करना पड़ता है.”.

प्रदूषण रहित रहेगा रावण दहन: समा खान ने बताया कि “अबकी बार विशेष गाइडलाइन जारी की हुई है कि प्रदूषण न हो इसको लेकर इस बार दशहरे पर रावण दहन प्रदूषण मुक्त बनाया जाएगा. दहन की प्रक्रिया इस बार रिमोट कंट्रोल से की जाएगी. साथ ही, प्रदूषण रहित पटाखों का इस्तेमाल कर दशहरे को पर्यावरण के अनुकूल मनाने की तैयारी की गई है. उनकी टीम कई सालों से कुरुक्षेत्र आकर दशहरे के लिए पुतले बनाती है और यह परंपरा लगातार जारी है.”