करनाल: किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें विपरीत परिस्थितियों में राहत देने के लिए हरियाणा सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है. अब मधुमक्खी पालन (शहद उत्पादन) को भी भावांतर भरपाई योजना यानी कि बीबीवाई के तहत शामिल कर लिया गया है. यदि मधुमक्खी पालकों को उनकी उपज का बाजार में उचित दाम नहीं मिलता है, तो सरकार इस योजना के तहत नुकसान की भरपाई करेगी.
डीसी ने दी जानकारी: इस बारे में करनाल के डीसी ने जानकारी दी. करनाल के उपायुक्त उत्तम सिंह ने बताया, “सरकार ने मधुमक्खी पालकों को संकट के समय सहायता देने के लिए शहद को भावांतर भरपाई योजना में शामिल करने का निर्णय लिया है. इससे मधुमक्खी पालकों को उनकी उपज का उचित दाम मिलेगा और आय में बढ़ोतरी होगी.”
जानें किसे मिलेगा लाभ:
- मधु क्रांति पोर्टल पर पंजीकृत हों.
- जिला अधिकारियों द्वारा सत्यापित हों.
- वैध परिवार पहचान पत्र रखते हों.
- शहद को हनी ट्रेड सेंटर (HTC) प्लेटफॉर्म पर निर्धारित समय में बेचा हो.
- बिक्री का प्रमाण HTC सिस्टम से उत्पन्न चालान के रूप में हो.
इस योजना के तहत एक दिसंबर से 31 मई तक पंजीकरण करवाया जा सकता है. जिसके बाद बॉक्स सत्यापन जनवरी से जून के बीच केवल एक बार किया जाता है.
योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी निर्देश: मधुपालकों को बॉक्स पर पहचान के लिए परिवार पहचान पत्र के अंतिम 4 अंक तथा क्रम संख्या खुदवाना अनिवार्य है. एक मधुमक्खी पालक अधिकतम एक हजार बॉक्स (प्रति बॉक्स 30 किग्रा) यानी 30 हजार किग्रा शहद प्रति वर्ष तक का लाभ उठा सकता है, जिसका विभाग द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाएगा. बिक्री अवधि एक जनवरी से 30 जून है.प्रत्येक मधुपालक 30 किग्रा प्रति बॉक्स प्रति वर्ष शहद का उत्पादन कर सकता है. अधिकतम एक हजार बॉक्स या 30 हजार किग्रा शहद बेच सकता है. पोर्टल पर खरीदार पंजीकरण वर्षभर किया जा सकता है. खरीदार पंजीकरण 10 हजार रुपये शुल्क और एक लाख सुरक्षा जमा के साथ किया जा सकता है.
ऐसे मिलेगा लाभ: मधुमक्खी पालकों को न्यूनतम 500 किग्रा शहद एचटीसी पर लाना अनिवार्य है, शहद का वजन और नमूना संग्रहण पारदर्शिता के साथ किया जाएगा. गुणवत्ता परीक्षण एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में होगा और शहद की नीलामी आरक्षित मूल्य 90 रुपये प्रति किग्रा के अनुसार होगी. यदि बिक्री इससे कम पर होती है तो प्रोत्साहन 90 रुपये प्रति किग्रा के आधार पर दिया जाएगा. बिक्री और नीलामी के लिए मधुमक्खी पालकों को शहद फूड ग्रेड बकेट में लाना होगा. नमूने का परीक्षण और गुणवत्ता जांच अनिवार्य है. नीलामी के बाद भुगतान एस्क्रो अकाउंट के माध्यम से किया जाएगा.
बता दें कि इस योजना से मधुमक्खी पालकों को न सिर्फ विपरीत बाजार परिस्थितियों में सहारा मिलेगा, बल्कि उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य भी सुनिश्चित होगा. सरकार की यह पहल शहद उत्पादन को प्रोत्साहित करने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है. ऐसे में यदि आप भी मधुमक्खी पालन करते हैं और योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो समय पर पंजीकरण और सभी नियमों का पालन करें.

















