फरीदाबाद: फरीदाबाद के सूरजकुंड में लगे दिवाली मेले में इस बार कला और नवाचार का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है. मेले में कई यूनिक और आकर्षक प्रोडक्ट्स प्रदर्शित किए गए हैं, लेकिन इनमें सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर निवासी दीपक चंद्रा का स्टॉल. दीपक चंद्रा ने मक्के के छिलके से खास कलाकारी की है. मक्का का छिलका, जिसे आमतौर पर बेकार समझकर फेंक दिया जाता है, उसी मक्के के छिलके को आधार बनाकर खूबसूरत और टिकाऊ कलाकृतियां दीपक ने तैयार की हैं.
मक्के के छिलके से अद्भुत कलाकारी: दीपक ने मक्के के सूखे छिलकों से होम डेकोर आइटम्स, फ्लावर पॉट्स, कृत्रिम फूल, टोकरी, और अन्य सजावटी वस्तुएं बनाई हैं. जिसका उन्होंने दिवाली मेले में स्टॉल लगाया है. ये उत्पाद न केवल देखने में यूनिक और आकर्षक हैं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी हैं, क्योंकि इन्हें पूरी तरह से वेस्ट मटेरियल से तैयार किया गया है. मेले में आने वाले लोग दीपक की इस रचनात्मकता और नवाचार को देखकर हैरान हैं और खूब सराहना कर रहे हैं. दीपक चंद्रा की यह पहल “वेस्ट टू बेस्ट” की एक बेहतरीन मिसाल बन रही है.
सूरजकुंड दिवाली मेले में लगाया स्टॉल: ईटीवी भारत की टीम सूरजकुंड दिवाली मेले में पहुंची. ईटीवी भारत के संवाददाता दीपक चंद्रा के स्टॉल पहुंचे और उनसे बातचीत की. दीपक चंद्रा ने बताया कि, “इसकी शुरुआत 6 महीने पहले मैंने की थी. मैंने सोचा कि कुछ ऐसा किया जाए जो सबसे अलग और यूनिक हो. इसीलिए मैं इसके ऊपर रिसर्च करने लगा. इसी दौरान मैंने देखा कि गांव में मक्के की खेती बहुत ज्यादा होती है. जब मक्के की कटाई होती है तो लोग मक्के को निकाल कर मक्के के छिलकों को फेंक देते हैं. मैंने सोचा क्यों ना इन मक्के के छिलकों के प्रयोग से कुछ चीज बनाई जाए. इसके बाद मैंने मक्के के छिलके पर रिसर्च किया और मेरा एक्सपेरिमेंट सक्सेस रहा. उसके बाद मैं अपने गांव में रहकर मक्के के छिलकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे उससे मैंनें फूल, टोकरी, फ्लावर पॉट, होम डेकोरेट का सामान बनाने लगा, जिसे लोग काफी पसंद करने लगे.
महिलाओं को दी ट्रेनिंग: दीपक ने आगे बताया कि, “इसके बाद मैंने धीरे-धीरे मार्केट में अपनी बनाई चीजें पहुंचानी शुरू की. इसके बाद मैंने सोचा क्यों ना जो गांव में महिलाएं रहती है, उनको भी अपने साथ जोड़ा जाए. उसके बाद अपने गांव में रह रही महिलाओं को मैंने इस काम से जोड़ा. उनको मैंने पहले नि शुल्क में ट्रेनिंग दी. काम सिखाया और आज लगभग 80 से 100 के करीब महिलाएं मेरे साथ जुड़ी हुई है, जिनको मैं रोजगार दे रहा हूं. मुझे नहीं पता था कि इतनी जल्दी इतनी सक्सेस मुझे मिल जाएगी. अब लोग मेरे द्वारा बनाए गए सामान को काफी पसंद कर रहे हैं.”
2500 रुपए तक प्रोडक्ट के रेट: अपने प्रोडक्ट के रेट को लेकर दीपक कहते हैं कि, “हमने जो बनाए हैं, उन सामानों की कीमत 200 से लेकर 2500 रुपये तक है. इससे दो फायदे हैं. जो वेस्ट मटेरियल है उसे हम प्रयोग करते हैं. इसके अलावा हम प्लास्टिक की चीजों को अपने घरों से दूर कर रहे हैं. यानी वातावरण को भी हम स्वच्छ रख रहे हैं. “
हाथों से तैयार करते हैं ये चीजें: दीपक चंद्रा ने बताया कि, “हम अलग-अलग यूनिक आइटम बना रहे हैं, जिसमें मुख्य रूप से गुलदस्ते, फूल, आसन, टोकरी, फूलदानी, चटाई, होम डेकोरेट के साथ अन्य चीजें भी हम बना रहे हैं. हालांकि इसे बनाने में हम किसी भी तरह से कोई मशीन का प्रयोग नहीं करते, बल्कि टोटल सामान हाथों से बनाया जाता है. सबसे बड़ी बात मक्के के छिलके हमें फ्री में मिल जाते हैं, जिसे हम अपने गांव और आसपास के गांव में जाकर इकट्ठा करते हैं. इसके बाद हम उस चीज को साफ करके उसे प्रयोग में लाते हैं और अलग-अलग तरह के प्रोडक्ट को बनाते हैं.”

















