फरीदाबाद: यमुना नदी पर बनने वाला पांटून (अस्थायी) पुल किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आ रहा है. बाढ़ से प्रभावित रहे यमुना किनारे बसे गांवों के लोगों के लिए यह पुल एक नई उम्मीद बनकर सामने आया है. खासकर उन किसानों के लिए जिनकी जमीन यमुना के उस पार उत्तर प्रदेश में स्थित है. यह पुल समय, श्रम और लागत तीनों की बचत करेगा.
ढाई हजार बीघा जमीन यमुना पार: फरीदाबाद के सटे गांवों के लगभग ढाई हजार बीघा जमीन यमुना पार उत्तर प्रदेश में स्थित है. किसान अपनी खेती के लिए अक्सर नावों से नदी पार करते हैं, लेकिन ट्रैक्टर-ट्रॉली जैसी भारी मशीनरी ले जाने में उन्हें काफी परेशानी होती है. इस वजह से उन्हें दिल्ली के कालिंदी कुंज होकर 40 किलोमीटर लंबा रास्ता तय करना पड़ता है, जिसमें ढाई घंटे तक का समय लग जाता है.
अब ट्रैक्टर के साथ 10 मिनट में नदी पार: लोक निर्माण विभाग (PWD) ने किसानों की इस समस्या का समाधान निकालते हुए पांटून पुल बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. विभाग के अनुसार, दो स्थानों पर इस अस्थायी पुल का निर्माण किया जाएगा. इसके बनने के बाद किसान अपने ट्रैक्टर के साथ केवल 10 से 15 मिनट में यमुना नदी पार कर सकेंगे. यह पुल हर साल 15 अक्टूबर के आसपास तैयार किया जाता है और 15 जून तक उपयोग में रहता है.
राज्य मंत्री राजेश नागर ने दिलाई मंजूरी: इस पुल को राज्य मंत्री राजेश नागर की मंजूरी मिली है. यह कोई पहली बार नहीं है जब यमुना नदी पर पांटून पुल बनाया जा रहा है. इससे पहले भी हर साल धान की कटाई और रबी की बुवाई के मौसम में इस पुल का निर्माण होता रहा है, जिससे किसानों को बहुत राहत मिलती है.
पिछले साल भी हुआ था निर्माण: पिछले साल भी इसी तरह का पुल बनाया गया था, लेकिन यमुना का जलस्तर बढ़ने और ओखला बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण कैप्सूल बहने की आशंका को देखते हुए इसे हटाना पड़ा था.
बता दें कि पांटून पुल का निर्माण न केवल किसानों को आवागमन में सुविधा देगा, बल्कि उनकी खेती से जुड़े कार्यों में भी तेजी आएगी. यह अस्थायी पुल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

















