शव मिलने के 60 घंटे बाद भी पोस्टमार्टम में देरी, आखिर क्या है वजह?

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चंडीगढ़ : आईजी वाई पूरन कुमार के 8 पेज के सुसाइड नोट के आधार पर चंडीगढ़ के सेक्टर-11 पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज कर ली है। इसमें पहली बार डीजीपी शत्रुजीत कपूर, पूर्व डीजीपी मनोज यादव, पूर्व डीजीपी पीके अग्रवाल, पूर्व मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, पूर्व एसीएस राजीव अरोड़ा, एडीजीपी संदीप खिरवार, एडीजीपी अमिताभ विल्लो, एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर संजय कुमार, एडीजीपी माटा रवि किरन, पंचकूला पुलिस आयुक्त सिवास कविराज, अम्बाला रेंज के आईजी पंकज नैन, रोहतक एसपी नरेंद्र बिजारनिया, आईपीएस कला रामचंद्रन समेत 13 अधिकारियों को नामजद किया है। वहीं, सुसाइड नोट के आधार पर मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, आईपीएस कुलविंद्र सिंह के नाम का भी जिक्र है।

पुलिस ने अरोपियों पर बीएनएस की धारा 108 व धारा 3(5) के अलावा एससी-एसटी एक्ट की धारा 3(1) (आर) व पीओए एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया हैं। इस संबंध में रात करीब 10:45 बजे महज 2 लाइन का प्रेस नोट जारी किया गया। बताया जा रहा है कि मामला पीएमओ व केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंच गया था। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने चंडीगढ़ के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर 7 दिन के अंदर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार के आत्महत्या केस में हरियाणा पुलिस इस समय भारी दबाव में है। उनकी आत्महत्या के तीन दिन बाद भी स्थिति शांत नहीं हो पाई है। मृतक अधिकारी के परिजनों ने न्याय मिलने तक अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है। घटना को 60 घंटे से अधिक हो चुके हैं, लेकिन अब तक पोस्टमॉर्टम नहीं किया गया है। हालांकि कानूनी रूप से पुलिस परिवार की सहमति के बिना भी पोस्टमॉर्टम करवा सकती है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है।

पूरन कुमार की आत्महत्या ने राज्य सरकार और पुलिस विभाग दोनों को हिला कर रख दिया है। गुरुवार को पूरे दिन यह अटकलें चलती रहीं कि सरकार स्थिति को शांत करने के लिए डीजीपी शत्रुजीत कपूर और एडीजीपी बिजारनिया को अवकाश पर भेज सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार ऑफिसिएटिंग डीजीपी नियुक्त करने पर भी विचार कर रही है, हालांकि देर रात तक इस संबंध में कोई औपचारिक आदेश जारी नहीं हुआ था।

पूरन कुमार की आत्महत्या ने राष्ट्रीय स्तर पर भी हलचल मचा दी है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या उस गहराते सामाजिक ज़हर का प्रतीक है, जो जाति के नाम पर इंसानियत को कुचल रहा है। जब एक आईपीएस अधिकारी को उसकी जाति के कारण अपमान और अन्याय झेलना पड़ता है, तो एक सामान्य दलित पर क्या बीतती होगी, इसकी कल्पना की जा सकती है।