चंडीगढ़ के व्यापारियों को लाखों रुपये के टैक्स नोटिस में उलझन, व्यापार मंडल का बयान- “हमें ऐसी जानकारी नहीं”

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पंचकूला: चंडीगढ़ उद्योग व्यापार मंडल ने आबकारी एवं कराधान विभाग के (स्टेट जीएसटी विंग) पर व्यापारियों को मनमाने और अत्यधिक टैक्स डिमांड नोटिस भेजे जाने को गलत ठहराया है. यही नहीं चंडीगढ़ उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष के अनुसार, मामले की जांच के लिए चंडीगढ़ के प्रशासक एवं पंजाब के गवर्नर को पत्र भेजने की बात भी कही गई है. लेकिन इस मामले पर जब चंडीगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव चड्ढा से बात की गई, तो उन्होंने इसे सच से कोसों दूर बताया. इससे स्पष्ट है कि उद्योग व्यापार मंडल और चंडीगढ़ व्यापार मंडल, दोनों ही इस मामले पर अलग राय रखते हैं. नतीजतन मामले पर असमंजस की स्थिति बन गई है.

चंडीगढ़ व्यापार मंडल ने क्या कहा?: चंडीगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव चड्ढा ने कहा कि “मीडिया में इस मामले के उजागर होने पर उन्होंने कई व्यापारियों से बातचीत की. लेकिन लाखों-करोड़ों रुपये की टैक्स वसूली के जो गलत नोटिस जारी होने की बात है, अभी तक ऐसी कोई सच्चाई सामने नहीं आई है. ऐसे मामलों में कई बार तकनीकी खामियों के कारण कुछ गलतफहमी हो जाती है, जिस वजह से जारी डिमांड नोटिस में संख्या का गलत उल्लेख दिखाई देता है. ऐसे में संबंधित ब्रांच में जाकर आसानी से समाधान हो जाता है. इसके अलावा, किन्हीं एक-दो व्यापारियों द्वारा निर्धारित समय में टैक्स की अदायगी नहीं होने पर पेनल्टी के साथ अतिरिक्त धनराशि संबंधी डिमांड नोटिस जारी किए जाते हैं”.

हेल्पलाइन नंबर जारी: चंडीगढ़ व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजीव चड्ढा ने व्यापारियों को भरोसा दिया है कि “चिंता की कोई बात नहीं है. क्योंकि उनके द्वारा अब तक की जांच में लाखों-करोड़ों रुपये की वसूली और प्रशासनिक ब्रांच द्वारा मनमर्जी से नोटिस जारी किए जाने की कोई बात सामने नहीं आई है”. बावजूद इसके उन्होंने संजीव चड्ढा द्वारा अपने निजी मोबाइल नंबर को सार्वजनिक करते हुए व्यापारियों से कहा है कि “यदि किसी को इस संबंध में कोई परेशानी दरपेश आती है तो वे उन्हें जानकारी दे सकते हैं”.

चंडीगढ़ उद्योग मंडल ने यह कहा: चंडीगढ़ उद्योग मंडल ने आबकारी एवं कराधान विभाग द्वारा फेस्टिवल सीजन के दौरान व्यापारियों को लाखों रुपये के डिमांड नोटिस दिए जाने पर चिंता व्यक्त की है. मंडल के अध्यक्ष कैलाश जैन ने प्रशासन को पत्र भेजकर शहर के कई व्यापारियों को 10 लाख से 50 लाख रुपये, जबकि कुछ मामलों में करोड़ों रुपये तक के टैक्स डिमांड नोटिस जारी किए जाने की बात कही है. मंडल अध्यक्ष के अनुसार, असल में देय कर (टैक्स राशि) इससे काफी कम है.

10-50 हजार में समझौता: चंडीगढ़ उद्योग मंडल के अनुसार मीडिया में लाई गई जानकारी के अनुसार, कई मामलों में वास्तविक अदायगी की टैक्स राशि काफी कम है. लेकिन विभागीय स्तर पर मामूली राशि 10 हजार से 50 हजार रुपये तक में समझौता कर दिया जाता है. उन्होंने नोटिस में उल्लेखित राशि और टैक्स सेटलमेंट राशि में बड़े अंतर को प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं.

अपील धनराशि: चंडीगढ़ उद्योग मंडल के अध्यक्ष कैलाश जैन के अनुसार, व्यापारी अपनी परेशानी का विभागीय स्तर पर समाधान नहीं करवा पाते हैं. मामले में अपील के लिए उन्हें उच्चाधिकारी के पास जाना पड़ता है. लेकिन इसके लिए भी उन्हें विवादित राशि का 25-30 प्रतिशत पहले जमा कराना पड़ता है. इससे व्यापारियों पर अत्यधिक आर्थिक दबाव पड़ रहा है.

प्रशासन से जांच की मांग: उद्योग व्यापार मंडल ने यूटी प्रशासन से अनुरोध कर बीते वर्ष जारी नोटिसों की संख्या, राशि और वास्तविक वसूली की संपूर्ण जानकारी जुटाकर जिम्मेदार कर्मचारियों/अधिकारियों की भूमिका की निष्पक्ष जांच की मांग की है. भविष्य में मनमाने नोटिस जारी करने और उन्हें वापस लेने जैसी गतिविधियों को रोकने के लिए भी स्पष्ट और पारदर्शी दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है. अध्यक्ष कैलाश जैन के अनुसार, शहर के व्यापारी ऐसी अनुचित प्रथाओं से परेशान हैं.