सिरसा : सिरसा जिले के ऐलनाबाद क्षेत्र में बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए पटवारी मुकेश कुमार को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। यह कार्रवाई उस मामले में की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटी के आदेशों का पालन नहीं किया गया और प्रतिबंधित भूमि का एक हिस्सा बेचा गया था। डीसी शांतनु शर्मा ने 10 अक्टूबर को बर्खास्तगी के आदेश जारी किए। यह निर्णय एसडीएम डबवाली की जांच रिपोर्ट के आधार पर लिया गया।
यह पूरा मामला पर्ल कंपनी से जुड़ा है, जिसकी सहयोगी 7 कंपनियों के नाम पर गांव नीमला में 216 एकड़ जमीन दर्ज है। यह वही पर्ल चिट फंड कंपनी है, जिसमें निवेशकों का भारी नुकसान हुआ था। इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2016 को सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आर.एस. लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर कंपनी की सभी संपत्तियों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी थी और आदेशों को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज करने को कहा था।
आदेशों को रिकॉर्ड में नहीं किया शामिल
जांच में सामने आया कि तत्कालीन पटवारी मुकेश कुमार ने इन आदेशों को रिकॉर्ड में शामिल नहीं किया, जिससे बाद में 18 एकड़ जमीन कुमजू बिल्डर्स एंड डेवलपर्स के नाम से 12 अप्रैल 2017 को बेच दी गई। जबकि उस समय भूमि की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट प्रतिबंध लागू था।
जांच के आधार पर हुई बर्खास्तगी
इसके बाद डीसी सिरसा ने मामले की जांच एसडीएम डबवाली को सौंपी। जांच में यह प्रमाणित हुआ कि आदेशों की अनुपालना में गंभीर लापरवाही बरती गई और प्रतिबंधित भूमि का सौदा अवैध रूप से किया गया। इसके आधार पर पटवारी को बर्खास्त कर दिया गया।
2020 का है मामला
गौरतलब है कि जमीन बेचने के मामले में 27 जून 2020 को ऐलनाबाद थाने में तत्कालीन तहसीलदार सहित छह लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया था। जुलाई 2025 में इस भूमि की 216 एकड़ हिस्से की नीलामी ऑनलाइन की गई थी, जिसे सोनीपत की एक कंपनी ने 35.69 करोड़ रुपये में खरीदा था।

















