हरियाणा में किसानों को बड़ी राहत: अब सरकारी कर्मचारी करेंगे खेतों में जाकर पराली प्रबंधन पंजीकरण

SHARE

करनाल: हरियाणा सरकार और कृषि विभाग मिलकर किसानों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. काफी हद तक फसल अवशेष में आग लगने के मामले भी कम हुए हैं. क्योंकि किसान समझ रहे हैं कि फसल अवशेष में आग लगने से जहां पर्यावरण में प्रदूषण होता है. तो वहीं उनके खेत की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी कम होती है. फसल अवशेष प्रबंधन करने के लिए कृषि विभाग किसानों को अनुदान पर कृषि देता है तो वहीं ₹1200 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि भी कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी जाती है.

खेत में जाकर अधिकारी करेंगे पंजीकरण: बड़ी बात यह है कि किसान फसल अवशेष प्रबंधन करने के बाद ₹1200 प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि लेने के लिए जो पंजीकरण करते थे. किसानों को अब आवेदन नहीं करना पड़ेगा. अब कृषि विभाग द्वारा गांव स्तर पर लगाए गए कर्मचारियों की ड्यूटी वाले कर्मचारी ही किसान के खेतों में जाकर उसका खुद पंजीकरण करेंगे.

“कर्मचारियों और अधिकारियों की लगाई ड्यूटी”: कुरुक्षेत्र के थानेसर ब्लॉक के SDM शाश्वत सागवान ने बताया कि “पूरे जिले में ब्लॉक स्तर पर कर्मचारी और अधिकारियों की ड्यूटी लगाई हुई है. जो गांव में कमेटी बना कर काम कर रहे हैं, जिन कर्मचारियों की ड्यूटी ग्राम स्तर पर लगाई गई है. वह किसानों के खेत में जाकर निरीक्षण करेंगे. पता लगाएंगे की किसान ने अपने खेतों में फसल अवशेष का प्रबंधन किस प्रकार से किया है. पराली की गांठ बनाई गई है या फिर घास के रूप में उसको काटकर मिट्टी में मिलाया गया है. या फिर किसी अन्य प्रकार से इसका प्रबंध किया गया है. यह सब गांव स्तर पर जो कर्मचारी तैनात किया गया है. वे किसानों के खेतों में जाकर पोर्टल पर इसका विवरण खुद दर्ज करेंगे”.

किसानों को करना होता था पंजीकरण: कृषि विभाग और सरकार की एक अच्छी पहल है. इसमें किसानों का कुछ काम कम हुआ है. क्योंकि अब से पहले किसान गूगल लोकेशन वाली मैप पर अपने खेत में फसल अवशेष प्रबंधन करते हुए फोटो लेते थे. उसके बाद उसकी एक फाइल तैयार करके साथ में प्रबंधन करने के दौरान ली गई. फोटो लगाकर कृषि विभाग में जाकर उसका विवरण दर्ज करवाते थे. पंजीकरण करवाते थे उसके बाद फिर अधिकारी इसकी पुष्टि करके उनको प्रोत्साहन राशि उनके खाते में भेजते थे. लेकिन किसानों का यह काम अब खत्म हो गया है.

प्रति एकड़ 1200 मिलेगी प्रोत्साहन राशि: अब किसानों को नहीं बल्कि, सरकारी कर्मचारियों को यह काम करना होगा. जो किसानों के खेत में जाकर खुद उसका निरीक्षण करेंगे और पंजीकरण करेंगे. जिसके बाद किसानों के खाते में प्रति एकड़ ₹1200 प्रोत्साहन राशि आएगी.