रावलवास खुर्द के प्रगतिशील किसान कृष्ण कुमार और खारिया के शशि कुमार बैनीवाल ने नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खेती पर चर्चा की। पीएम ने देशभर के दलहनी खेती करने वाले 20 प्रगतिशील किसानों को दिल्ली में आमंत्रित किया था। जिनमें हिसार जिला के दो प्रगतिशील किसान शामिल रहे। पीएम ने दलहन फसल आत्मनिर्भरता मिशन की शुरुआत भी की। इन किसानों को दलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए चुना गया था। पीएम नरेंद्र मोदी ने इन किसानों के साथ उनके अनुभव, समस्याओं और सुविधाओं को लेकर चर्चा की।
पीएम मोदी ने किसानों के साथ पूसा इंस्टीट्यूट के खेत में करीब 30 मिनट तक वर्तमान खेती पर चर्चा की। पीएम ने पूछा कि वे किन फसलों की बिजाई करते हैं। उनके समक्ष क्या समस्याएं हैं। पीएम ने जाना कि पीएम फसल बीमा योजना, पीएम किसान निधि जैसी योजनाओं का लाभ किसानों तक पहुंच रहा है या नहीं। खेती में सोलर के उपयोग को बढ़ावा देने की बात कही। उन्होंने कहा कि खेती में रसायनों का प्रयोग कम करना होगा।
1 एकड़ जमीन से 1 लाख रुपए चने से लेते हैं पैदावारः कृष्ण
कृष्ण कुमार ने बताया कि सात साल पहले रसायनों का प्रयोग बंद कर प्राकृतिक खेती करना शुरू किया था। वह पांच एकड़ में गेहूं और चने की प्राकृतिक खेती करते हैं। रसायनों के प्रयोग से खेत में चना उगना ही बंद हो गया था। अब वे एचके 5 नंबर वेरायटी हरियाणा काबुली चना बोते हैं। यह 10 क्विंटल तक खेत में पैदा होता है। एक एकड़ से 1 लाख रुपए तक की चने से पैदावार लेते हैं। गेहूं की सी 306 वेरायटी उगाते हैं, जो 12 क्विंटल तक एक एकड़ से पैदा होती है। सात हजार रुपए क्विंटल के रेट से गेहूं बेचते हैं। 2 सब्जियों की खेती भी करते हैं।
बोरवेल के पानी से दलहनी फसलें उगनी हुई बंद: शशि
शशि दसवीं पास हैं, वे बताते हैं कि साल 2013 में एक एकड़ जमीन से चने की खेती आरंभ की थी। अब वे 13 एकड़ कर रहे हैं। बोरवेल का पानी से दलहनी फसलें उगना बंद हो गई थी। अब गांव खारिया में 400 एकड़ जमीन पर चना और 500 एकड़ के करीब मूंग की खेती होती है। चने की खेती पूरी तरह से ऑर्गेनिक तरीके से की जाती है। आगे मोठ की खेती भी शुरू की जाएगी।
मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में किसानों को योजनाओं के बारे में बताया
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के मौलिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं एवं कार्यक्रमों की किसानों को जानकारी देने के लिए तकनीकी सत्र आयोजित किया गया। तकनीकी सत्र में जिले के विभिन्न गांवों से आए किसान मौजूद रहे। इस अवसर पर पीएम धन-धान्य कृषि योजना और दलहन में आत्मनिर्भरता मिशन का शुभारंभ, कृषि और अवसंरचना कोष, पशुपालन, मत्स्य पालन और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र पर 1100 से अधिक परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास ऑनलाइन माध्यम से दिखाया गया। कुलसचिव डॉ. पवन कुमार ने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों को प्रभावशाली ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है।
सरकार द्वारा किसानों का जोखिम कम करने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, भावांतर भरपाई योजना, मेरी फसल मेरा ब्योरा, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली जैसी अनेक योजनाएं चलाई जा रही है। अनुसंधान निदेशक डॉ. राजवीर गर्ग ने किसानों से परम्परागत फसलों के स्थान पर दलहनी एवं तिलहनी फसलों को प्राथमिकता देने का आह्वान किया।

















