अब तक किसान आधार कार्ड के माध्यम से विभिन्न स्रोतों से उर्वरक प्राप्त कर सकते थे, लेकिन अब ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल को उर्वरक वितरण प्रणाली से जोड़ दिया गया है। इससे केवल वहीं किसान डीएपी और अन्य उर्वरक प्राप्त कर सकेंगे जो इस पोर्टल पर पंजीकृत हैं।
1800 बैग डीएपी वितरित, लेकिन कनीना में अब तक नहीं पहुंची सप्लाई
महेंद्रगढ़ के हैफेड प्रबंधक वीरेंद्र कुमार ने जानकारी दी कि उनके कार्यालय में 1800 बैग डीएपी की खेप पहुंची थी, जिसका वितरण शुक्रवार और शनिवार को दो दिनों में पूरा कर लिया गया। हालांकि, किसानों की मानें तो कनीना उपमंडल की छह पैक्स (किसान सहकारी समितियां) भी डीएपी प्राप्त करती हैं, लेकिन इस बार कनीना में अभी तक एक भी बैग नहीं पहुंचा, जिससे किसानों में गहरा रोष है। किसानों का कहना है कि उनका सीधा संपर्क पैक्स के माध्यम से होता है, लेकिन वहां भी डीएपी उपलब्ध नहीं है।
पैक्स कार्यालयों के चक्कर लगा रहे किसान
किसान जसवंत सिंह, दिनेश कुमार, मनोज कुमार, सुरेश कुमार और महेंद्र सिंह ने बताया कि वे कई दिनों से पैक्स कार्यालयों और सहकारी समितियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उन्हें डीएपी नहीं मिल पा रहा। खेतों में बुआई का समय चल रहा है और डीएपी की कमी ने कृषि कार्यों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।
लाइसेंस प्रक्रिया अधूरी, इसलिए नहीं मिल पा रही खाद: पैक्स प्रबंधक
पैक्स प्रबंधक कृष्ण कुमार ने बताया कि अभी उनकी संस्था का लाइसेंस प्रक्रिया में है। जैसे ही लाइसेंस बन जाएगा, खाद की आपूर्ति शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने किसानों से थोड़ा धैर्य रखने की अपील की है।
नया नियम: बिना पंजीकरण नहीं मिलेगा उर्वरक
सरकार द्वारा किए गए नए प्रावधान के अनुसार, अब केवल ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर पंजीकृत किसान ही उर्वरक प्राप्त कर सकेंगे। इससे वितरण प्रणाली को पारदर्शी बनाने और वास्तविक लाभार्थियों तक खाद पहुंचाने का उद्देश्य है। हालांकि, इससे पहले से खाद की कमी झेल रहे किसानों के लिए नई चुनौती खड़ी हो गई है।

















