करनाल: हरियाणा सरकार ने गन्ने का रेट ₹400 प्रति क्विंटल से बढ़ाकर ₹415 प्रति क्विंटल कर दिया है। इस फैसले पर किसान नेता गुरुनाम सिंह चढूनी ने प्रतिक्रिया दी है। चढूनी ने कहा कि यह बढ़ोतरी बहुत कम है। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी गन्ने का भाव नहीं बढ़ा था, जिससे गन्ने की खेती का क्षेत्र कम हो गया है, जो खतरनाक संकेत है। चढूनी ने कहा कि गन्ने की जगह धान की खेती बढ़ रही है, जिससे कीमती पानी और बिजली का अधिक खर्च होगा। उन्होंने सरकार से मांग की कि गन्ने के भाव में कम से कम ₹50 की बढ़ोतरी होनी चाहिए थी।
धान कटाई के बाद किसानों से अपील की गई है कि वे पराली न जलाएं। इस पर चढूनी ने कहा कि पराली प्रबंधन के लिए जो कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाने थे, उनके लिए 600 से अधिक किसानों ने आवेदन किया था, लेकिन हमारे इलाके में एक भी यंत्र नहीं दिया गया। उन्होंने बताया कि पराली खेतों में करीब 15 दिन तक पड़ी रही। कृषि अधिकारियों को सूचित करने के बावजूद बेलर कई दिनों बाद ही खेतों में आया।
चढूनी ने कहा कि किसानों को कृषि यंत्र नहीं मिले हैं, इसलिए वे पराली जलाने से रोक नहीं पाएंगे। किसान अपने खेत 15 दिन तक खाली नहीं छोड़ सकते क्योंकि उन्हें समय पर दूसरी फसल लगानी होती है। उन्होंने कहा कि इस बार सरकार किसानों को कृषि उपकरण देने में पूरी तरह फेल रही है।
धान की मंडियों की हालत भी खराब है। चढूनी ने बताया कि गोहाना मंडी में 12 नमी की धान की पर्ची ₹2100 की कट रही है, जबकि कलायत मंडी में धान ₹2200 से ऊपर बिकी ही नहीं। साथ ही, मंडियों में पूरा एमएसपी नहीं दिया जा रहा। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश से धान लाकर यहां बेचा जा रहा है, जिसमें हेराफेरी हो रही है।
हरियाणा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों किसानों का साथ देने का दावा करते हैं, लेकिन चढूनी ने कहा कि दोनों को सिर्फ वोट चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष इसलिए काम नहीं करता क्योंकि वह सरकार के खिलाफ केवल वोट बैंक के लिए होता है, और सत्ता पक्ष भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा हुआ है। चढूनी ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि आज राजनेताओं का नहीं, बल्कि पूंजीपतियों का राज है।

















