चंडीगढ़ : पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने गन्ना किसानों की हालत पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि गन्ना किसान लगातार अपनी वैध मांगों के लिए आंदोलनरत थे, लेकिन बीजेपी सरकार की उदासीनता लगातार उनके जख्मों पर नमक छिड़क रही है। किसानों और कांग्रेस ने बार-बार मांग करी है कि गन्ने का रेट कम से कम 500 रुपये प्रति क्विंटल किया जाए। साथ ही मिलों द्वारा किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
हुड्डा ने विस्तार से बताया कि गन्ना उत्पादन में श्रमिक, बीज, खाद, बुआई, कटाई जैसी लागतें तेजी से बढ़ी हैं। इसके अलावा, बीजेपी सरकार के दौरान पेट्रोल-डीजल की कीमतों में वृद्धि ने परिवहन खर्च को दोगुना- ढाई गुना कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, उत्पादन लागत में पिछले दशक में 200-250 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है, जबकि बीजेपी सरकार ने गन्ने की दरों में केवल नाममात्र 15 रुपये की बढ़ोतरी की। यदि इन सभी कारकों को जोड़ा जाए, तो गन्ना का FRP कम से कम 600 रुपये प्रति क्विंटल होना चाहिए। बढ़ती उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए यह न्यूनतम न्याय है, अन्यथा किसान आर्थिक संकट में डूब जाएंगे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी सरकार सभी 24 फसलों पर एसपी देने का दावा करती है। जबकि सच्चाई यह है कि हरियाणा में 24 फसलें होती ही नहीं है। जो फसले होती हैं, उनके किसान भी एमएसपी के लिए तरस रहे हैं। उदाहरण के तौर पर खरीफ सीजन में मुख्यत हरियाणा में पैदा होने वाली फसल धान, बाजरा, कपास और मूंग जैसी फैसले न्यूनतम समर्थन मूल्य से कई कई सौ कम रेट में पिट रही है और सरकार आंख बंद किए बैठी हुई है। यही ऐसा ही हाल रबी की फसलों का हुआ था।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बीजेपी सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा घोषित फेयर एंड रेम्युनरेटिव प्राइस (FRP) 355 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि हरियाणा सरकार ने राज्य समर्थन मूल्य (SAP) में कोई उल्लेखनीय वृद्धि नहीं की। किसान संगठनों की मांग के बावजूद सरकार ने केवल मामूली बढ़ोतरी की, जो किसानों पर ‘क्रूर मजाक’ के समान है। पिछले कुछ वर्षों में गन्ना किसानों को मिल भुगतान में देरी के कारण अरबों रुपये का नुकसान हुआ है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि 2005 से 2014 तक के साढ़े नौ वर्षों में कांग्रेस सरकार ने गन्ना दर में लगभग तीन गुना की वृद्धि की थी। दर 117 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 310 रुपये प्रति क्विंटल की गई, जो कुल 165 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। इसका मतलब है कि हर वर्ष औसतन 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे किसानों की आय में खासी बढ़ोत्तरी हुई और उत्पादन बढ़ा। इसके विपरीत, बीजेपी के 2014 से अब तक के 11 वर्षों के शासन में गन्ना दर में केवल 310 से 415 रुपये तक की कुल 33 प्रतिशत वृद्धि हुई, जो प्रति वर्ष मात्र 3 प्रतिशत बनती है। यह वृद्धि इतनी मामूली है कि बढ़ती लागत को कवर ही नहीं करती। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने हमेशा किसान हित को प्राथमिकता दी, जिसके परिणामस्वरूप हरियाणा गन्ना उत्पादन में अग्रणी राज्य बना। लेकिन बीजेपी शासन में किसान कर्ज के जाल में फंस गए हैं और किसान गन्ने की खेती छोड़ने को मजबूर हैं।

















