फरीदाबाद: अक्टूबर का महीना आखिरी पड़ाव पर है और नवंबर शुरू होने वाला है. लेकिन हरियाणा में गर्मी ने पैर पसार रखे हैं. हालांकि सुबह-शाम हल्की ठंड जरूर महसूस हो रही है. लेकिन कड़ाके की सर्दी अभी शुरू नहीं हुई है. दिनभर तेज धूप के चलते लोगों को उमस भरी गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. मौसम विभाग के मुताबिक, अब कड़ाके की सर्दी के लिए ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ेगा, जल्द ही एनसीआर समेत पूरे हरियाणा में मौसम करवट बदलेगा.
मौसम जल्द लेगा करवट: मौसम विभाग के मुताबिक, 27 अक्टूबर को पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होगा. जिसका असर सीधे दिल्ली-एनसीआर और हरियाणा पर पड़ेगा. 27 अक्टूबर से बादल छाने शुरू हो जाएंगे. छठ पूजा से पहले मौसम सुहावना हो सकता है. वहीं, छठ पूजा के दौरान लोगों को सूर्य देवता के दर्शन के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा. 29 अक्टूबर को बारिश की संभावना है.
गुरुग्राम-फरीदाबाद में बढ़ा पॉल्यूशन: वहीं, गुरुग्राम और फरीदाबाद में सुबह-सवेरे हल्की धुंध देखी जा रही है. जबकि दिन के समय तेज धूप खिल रही है. बीते 24 घंटे में हवा की गुणवत्ता में थोड़ा सा सुधार देखा गया है. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स 200-250 के बीच चल रहा है, जो पहले के मुकाबले थोड़ा सा बेहतर है. इस बार दिवाली पर ग्रीन पटाखे की आड़ में दूसरे बारूदी पटाखे देर रात तक जमकर चलाए गए. जिसके चलते फरीदाबाद शहर का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर देखा गया. दिवाली के अगले दिन लोगों को सूर्य के दर्शन तक नहीं हुए.
मरीजों की बढ़ी संख्या: डॉक्टर के अनुसार, दिवाली के बाद प्रदूषण के कारण बच्चों और बुजुर्गों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. उनके पास प्रदूषण से पीड़ित मरीजों की भारी भीड़ लग गई. वहीं, शहर की बुजुर्ग महिलाओं और बुद्धिजीवियों ने बताया कि पटाखों के प्रदूषण से वह घर से बाहर ही नहीं निकले और अपने बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रखा. इसके बावजूद हृदय रोगी और दमा मरीज और बच्चे बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.
प्रदषण से परेशान स्थानीय: स्थानीय महिला जसवीर कौर ने बताया कि “मुझे दो बार हार्ट अटैक की शिकायत हो चुकी है और धुएं से मुझे बहुत परेशानी होती है. जिसके चलते मैं पिछले 10 दिन से घर से बाहर ही नहीं निकल रही हूं. इस बार दिवाली पर सुबह 4:00 बजे तक पटाखे फोड़े गए, जिसकी वजह से मेरी सेहत पर प्रतिकूल असर पड़ा है”.
“दिवाली के बाद सूर्य देव के नहीं हुए दर्शन”: वहीं, स्थानीय निवासी संदीप सेठी ने बताया कि “इस बार प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंचा हुआ है. हालांकि सरकार ने ग्रीन पटाखे बजाने की इजाजत दी थी. इसके बावजूद दिवाली की रात बम पटाखों से खूब प्रदूषण हुआ और अगली सुबह सूर्य भी नजर नहीं आया. इसका खास तौर पर बुजुर्गों और बच्चों पर असर देखा गया. अस्थमा के मरीज तो अपने घरों के अंदर ही कैद होकर रह गए. सरकार ने ग्रीन पटाखे बजाने की इजाजत दी थी. लेकिन इसकी आड़ में देर रात तक दूसरे पटाखे बजाए गए”.
“कानून न तोड़े लोग”: अन्य स्थानीय निवासी अनुज मेहता का कहना है कि “हम सभी को कानून के दायरे में रहकर सरकार की हिदायतों के अनुसार ही चलना चाहिए. सरकार की गाइडलाइन का पालन न करना एक तरह से अपराध है. हम नवग्रह की पूजा करते हैं और धरती भी एक ग्रह है. इसलिए लोगों को चाहिए कि वह एक लिमिट के अंदर ही त्योहार को मनाए और प्रदूषण ना फैलाएं”.
बढ़ते प्रदूषण पर बोले डॉक्टर: बढ़ते प्रदूषण पर फिजिशियन डॉ. मुकुल गोस्वामी ने कहा की “इस बार दिवाली पर देर रात तक हर तरह के पटाखे फोड़े गए. जिसके चलते लोगों को छाती में कंजेशन होने की वजह से भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. बच्चों और बुजुर्गों को घर में ही रहना सुरक्षित होगा. क्योंकि इस समय प्रदूषण का लेवल काफी बढ़ चुका है. इसलिए यदि किसी को बहुत जरूरी है, तो वह घर से मास्क लगाकर निकले या फिर गीला रुमाल मुंह पर बांधकर निकले. लोगों ने दिवाली की आड़ में जमकर प्रदूषण फैलाया है. जिसके चलते मरीजों की संख्या बहुत बढ़ी है”.

















