यमुनानगर : यमुनानगर जिले के भगवानपुर गांव में बाबा बंदा सिंह बहादुर की वीरता और त्याग की गाथा को समर्पित एक विश्व स्तरीय स्मारक और संग्रहालय बनाया जा रहा है. इस भव्य परियोजना का भूमि पूजन केंद्रीय ऊर्जा, आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल करेंगे. यह स्मारक न केवल बाबा बंदा सिंह बहादुर के शौर्य की याद दिलाएगा बल्कि खालसा साम्राज्य की गौरवगाथा को भी जीवंत करेगा.
भूमि पूजन में पहुंचे मनोहर लाल: केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. उनके साथ कैबिनेट मंत्री रणबीर गंगवा और श्याम सिंह राणा भी मौजूद रहे. कैबिनेट मंत्री श्याम सिंह राणा ने अपने संबोधन में कहा कि,” देश के गुलाम होते हुए धरती पर अनेकों योद्धाओं ने जन्म लिया. उनकी वीर गाथाओं को लोगों तक पहुंचाकर प्रेरित करने की जरुरत है. बहादुर योद्धाओं ने उस वक्त देश को जगाने का काम किया था. बाबा बंदा बहादुर ने खुद को न्योछावर कर बलिदान देकर देश को संदेश दिया. केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल भी बाबा बंदा सिंह बहादुर के वंशज हैं. स्मारक के लिए 21 लाख रुपए दिए जाएंगे. “
20 एकड़ भूमि पर बनेगा भव्य स्मारक: परियोजना लगभग 20 एकड़ भूमि में फैली होगी. स्मारक में एक भव्य किले जैसा ढांचा, 70 फुट ऊंची प्रतिमा, और आधुनिक थिएटर बनाया जाएगा, जहां बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन पर आधारित फिल्म प्रदर्शित की जाएगी. इसके अलावा परिसर में गतका की कक्षाएं भी आयोजित की जाएंगी, ताकि युवा पीढ़ी सिख परंपराओं और वीरता की शिक्षा ले सके.
72 करोड़ का बजट, थ्री-डी मास्टर प्लान तैयार: इस परियोजना के पहले चरण के लिए 72 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया जा चुका है. शेष इंटीरियर और डेकोरेशन कार्यों के लिए अलग बजट जारी किया जाएगा. स्मारक का थ्री-डी नक्शा और मास्टर प्लान तैयार हो चुका है.पहले चरण में किलेनुमा दीवार, संग्रहालय भवन, भू-दृश्यांकन और मुख्य प्रवेश द्वार का निर्माण किया जाएगा, जबकि दूसरे चरण में बाबा बंदा सिंह बहादुर के जीवन और संघर्षों पर आधारित सामग्री व सेट डिज़ाइन तैयार किए जाएंगे.
पंजाब की किला वास्तुकला से प्रेरित होगा प्रवेश द्वार: स्मारक का मुख्य प्रवेश द्वार पंजाब की ऐतिहासिक किला वास्तुकला से प्रेरित होगा. इसमें पारंपरिक और आधुनिक डिज़ाइन तत्वों का सम्मिश्रण होगा.यह द्वार अजेय लोहगढ़ किले की विरासत को सम्मान देने के उद्देश्य से बनाया जाएगा. इसमें पंजाब के महान किलों की वास्तुशिल्पीय विशेषताएं झलकेंगी.
श्रद्धा और गौरव का दिखेगा संगम: यह स्मारक न केवल श्रद्धा का प्रतीक होगा, बल्कि भारत के इतिहास में सिख वीरता, राष्ट्रभक्ति और नेतृत्व की अमिट छाप को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम भी बनेगा.

















