1 माह बाद भी धीमी रफ्तार में चंडीगढ़ पुलिस, अब तक अधिकारियों के बयान नहीं हुए दर्ज

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चंडीगढ़ :  देशभर में चर्चित हरियाणा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी बाई पूरण की आत्महत्या को शुक्रवार को एक माह हो गए है। राजनैतिक, प्रशासनिक और सामाजिक तौर पर न्याय और मामले की सच्चाई की पुकार के बीच चंडीगढ़ पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) कछुआ चाल में दिख रही है।

इसका सीधा उदाहरण है कि पुलिस अभी तक सुसाइड नोट के अनुसार हुए एफआईआर में शामिल हरियाणा कैडर के सभी वरिष्ठ अधिकारियों के बयान तक नहीं दर्ज कर सकी है।

इस मामले में वाई पूरण की पत्नी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार का चंडीगढ़, सेक्टर-24 स्थित सरकारी आवास प्रशासनिक और केंद्रीय राजनेताओं का केंद्र बन गया था। हरियाणा सरकार की अफसरशाही में जातिवादी का विवाद पैदा होने का माहौल बन गया था। ऐसे में सभी विभागीय कार्य भी प्रभावित हो रहे थे। दिवंगत आईपीएस पूरण की पत्नी अमनीत के सरकारी दौरे से चंडीगढ़ लौटने पर शव का पोस्टमार्टम और संस्कार न करने के दबाव में चंडीगढ़ पुलिस ने सुसाइड नोट के आधार पर रातोंरात डीजीपी शत्रुजीत कपूर, रोहतक के पूर्व एसपी नरेंद्र बिजराणिया सहित तकरीबन 14 अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर लीं।

एसआईटी ने सुशील कुमार पर दर्ज रिश्वतखोरी के मामले की पूरी जानकारी इसमें गनमैन की ओर से पूरण का नाम लेने का आरोप है और पूरण की सरकारी गाड़ी में सुशील की गिरफ्तारी भी हुई थी। एसआईटी ने सुशील से पूछताछ तो कर ली लेकिन इस मामले के मुख्य किरदार शिकायतकर्ता शराब कारोबारी प्रवीण बंसल के बयान तक रोहतक पुलिस से हासिल कर ली। नहीं दर्ज कर सकी है।

सुबह अमनीत के एतराज जताने पर पुलिस ने एफआईआर में एससी-एसटी की धाराओं में संशोधन भी कर दिया। इसके बाद आईजी पुष्पेंद्र कुमार की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय कमेटी गठित की गई। हालांकि शव का पोस्टमार्टम कराने की मंजूरी के लिए चंडीगढ़ पुलिस को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था। कोर्ट के आदेश और चंडीगढ़ पुलिस के त्वरित कार्रवाई के आश्वासन पर अमनीत ने पति पूरण के शव का पोस्टमार्टम कराने की सहमति दी। इसके बाद परिवार की ओर से शव का पोस्टमार्टम अंतिम संस्कार कराया।