मनीषा मौत मामले की गुत्थी 76 दिन बाद भी अनसुलझी है। 65 दिन सीबीआई जांच के बाद भी रहस्य से पर्दा नहीं उठा है। मनीषा के पिता संजय और पूरा परिवार बेटी की हत्या का दावा कर रहे है जबकि सीबीआई की जांच हत्या और आत्महत्या के बीच उलझी है।
बेटी को खोने की पीड़ा झेल रहे परिवार के लिए न्याय का इंतजार बढ़ता जा रहा है।सीबीआई के अधिकारी दिल्ली लौट चुके हैं। मनीषा के पिता का कहना है कि वे लगातार सीबीआई से फोन पर बात कर अपडेट ले रहे हैं। अधिकारी इस मामले में उन्हें भी कुछ ज्यादा नहीं बता रहे हैं, केवल जांच जारी रहने का आश्वासन ही दे रहे हैं। सीबीआई अब तक तथ्यों को खंगालने के अलावा सभी गवाहों से पूछताछ कर चुकी है।
गांव ढाणी लक्ष्मण निवासी मनीषा 11 अगस्त को घर से लापता हुई थी। 13 अगस्त को सिंघानी नहर के पास उसका शव मिला था। पहले पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मनीषा की मौत तेजधार हथियार से गला रेतकर की गई हत्या बताई गई थी जबकि रोहतक पीजीआई की दूसरी रिपोर्ट में इसे आत्महत्या बताया गया। हत्या से आत्महत्या की थ्योरी पर घूम रही यह जांच अब भी किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंची है। परिजनों और विभिन्न संगठनों ने मनीषा के आत्महत्या करने की बात को सिरे से नकारा। इस मामले में अब लोकल पुलिस की भूमिका समाप्त हो चुकी है और केस तीन सितंबर से ही सीबीआई के हाथों सौंपा जा चुका है।

















