हिसार में खुशियों की लहर: पेडवाड़ के सूर्यकांत बने देश के CJI, हवन और रक्तदान शिविर के साथ ढोल-नगाड़ों के बीच जश्न

SHARE

हिसार: हिसार जिले के पेडवाड़ गांव के लाल जस्टिस सूर्यकांत ने भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली. यह पल गांव और हिसार दोनों के लिए गर्व का क्षण बन गया. पेडवाड़ में लड्डू बांटे गए. घर-घर मिठाइयां बांटी गई. साथ ही युवाओं ने ढोल-नगाड़ों पर नाच कर खुशी मनाई. गांव में चारों ओर उल्लास का माहौल देखने को मिला.

हिसार बार एसोसिएशन का ऐतिहासिक उत्सव: हिसार बार एसोसिएशन ने CJI सूर्यकांत के सम्मान में भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया. सोमवार सुबह 9:30 बजे बार परिसर में हवन यज्ञ किया गया, जिसमें अधिवक्ताओं ने सूर्यकांत के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु की कामना की. इसके बाद बार रूम में उनके शपथ ग्रहण समारोह का लाइव प्रसारण दिखाया गया.जैसे ही उन्होंने राष्ट्रपति भवन में शपथ ली, पूरा हॉल तालियों और ‘हिसार जिंदाबाद’ के नारों से गूंज उठा.

रक्तदान शिविर लगाया गया: शपथ ग्रहण के उपलक्ष्य में सुबह 10 से 1 बजे तक बार परिसर में बड़ा स्वास्थ्य शिविर लगाया गया. यहां रक्तदान, आंखों की जांच, दांतों की जांच, मोतियाबिंद रोगियों का चयन और निःशुल्क दवाइयों का वितरण किया गया. जिसमें बार सदस्यों के साथ-साथ आम लोगों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया.

हिसार से सूर्यकांत का गहरा नाता: प्रधान संदीप बूरा और सचिव समीर भाटिया ने बताया कि, “सूर्यकांत ने 1984-85 में हिसार कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता स्व. आत्माराम बंसल के साथ जूनियर के रूप में करियर शुरू किया था. ग्रामीण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने युवाओं के लिए प्रेरणादायक सफर तय किया.”

शिक्षा से लेकर CJI बनने तक का सफर: 10 फरवरी 1962 को जन्मे सूर्यकांत ने 10वीं तक की शिक्षा अपने गांव में ही की. उसके बाद हिसार से B.A. (Hons) और MDU से कानून की पढ़ाई की.

  • सूर्यकांत ने साल 1984 में वकालत की शुरुआत की.
  • साल 2000 में हरियाणा के सबसे युवा महाधिवक्ता बनें.
  • साल 2004 में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जज बनें.
  • साल 2018 में हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बनें.
  • साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बनें.
  • साल 2024 में भारत के 53वें CJI बनें.

सादगी और संस्कारों से भरा जीवन: सूर्यकांत के बड़े भाई ऋषिकांत बताते हैं कि, “उनका परिवार संस्कारों से भरा है. पिता मदनमोहन शास्त्री संस्कृत के शिक्षक थे. विवाह के समय सूर्यकांत ने स्पष्ट कहा था कि वे दहेज में एक चम्मच तक नहीं लेंगे. वर्तमान में उनकी पत्नी सविता शर्मा रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं. उनकी दोनों बेटियां कानून की पढ़ाई कर रही हैं.

बार के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने साझा किए अनुभव: अधिवक्ताओं लाल बहादुर खोवाल, सुभाष गोदारा, पीसी मित्तल व अन्य सदस्यों ने उनकी सरलता, ईमानदारी और न्यायप्रियता को उनकी असली ताकत बताया. साथ ही कहा कि उनका यह मुकाम युवाओं के लिए बड़े प्रेरणा स्रोत की तरह है.

हिसार जिले के पेडवाड़ गांव में आज जो खुशी का माहौल है. यह पल केवल एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की आत्मा को ऊंचा उठाने वाला पल है. जस्टिस सूर्यकांत ने साबित कर दिया कि छोटे गांव से निकलकर भी सपने पूरे किए जा सकते हैं.