करनाल : राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के अवसर पर करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई) में प्रथम राष्ट्रीय डेयरी महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन किया गया. संस्थान के कुलपति सह निदेशक डॉ. धीर सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की. उद्घाटन से पूर्व श्वेत क्रांति के जनक डॉ. वर्गीज कुरियन को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित कर उनकी उपलब्धियों को याद किया गया.
युवा एंटरप्रेन्योर के प्रोडक्ट की प्रदर्शनी महोत्सव में संस्थान से तैयार होकर निकले 150 से अधिक स्टार्टअप शुरू करने वाले छात्रों ने अपने अभिनव डेयरी उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई. स्टॉल पर भारतीय डेयरी सेक्टर की नवाचार शक्ति साफ-साफ दिखी. पाउडर दही से लेकर बकरी और ऊंटनी के दूध से बने हेल्दी प्रोडक्ट तक, हर स्टार्टअप ने भारतीय विज्ञान की नई दिशा को दर्शाया.
दही को पाउडर रूप में किया जा रहा विकसितः मीडिया से बातचीत में निदेशक डॉ. धीर सिंह ने बताया कि “भारत की जीडीपी में डेयरी क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है और एनडीआरआई इस विकास का अग्रणी स्तंभ है.” उन्होंने कहा कि “बकरी और ऊंटनी के दूध में अद्भुत पोषक तत्व होते हैं. आईसीएमआर के सहयोग से इनके दूध की क्लिनिकल स्टडी शुरू की गई है. यात्रा या भंडारण में उत्पाद खराब न हों, इसके लिए दही को पाउडर रूप में बनाने की दिशा में तेजी से काम जारी है. छात्रों को एंटरप्रेन्योर बनाने के लिए क्षमता निर्माण पर जोर दिया जा रहा है.” डॉ. सिंह ने यह भी बताया कि “भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण ने संस्थान को 4 करोड़ के अत्याधुनिक उपकरण दिए हैं, ताकि दूध में मिलावट की जांच के लिए मानक विकसित किए जा सकें. एनडीआरआई का 100% प्लेसमेंट रेट इसकी गुणवत्ता का प्रमाण है.”
बकरी का दूध-परंपरा से विज्ञान तकः संस्थान के संयुक्त निदेशक डॉ. आशीष कुमार ने कहा कि “बकरी का दूध सदियों से पोषण और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला माना जाता है. अब वैज्ञानिक शोध इस दिशा को और मजबूत कर रहा है. उनके अनुसार बकरी के दूध से बनी चीज का भारत में मार्केट लगातार बढ़ रहा है. एनडीआरआई के छात्रों ने बकरी के दूध से तैयार कई तरह की चीज और पाउडर मिल्क को सफलता से विकसित किया है.”
छात्रों का आत्मविश्वास-देश के डेयरी भविष्य की पहचानः महोत्सव में शामिल एनडीआरआई की बीटेक चौथे वर्ष की छात्रा अनुश्री ने बताया कि “उन्होंने टीम के साथ मिलकर बकरी के दूध से फेटा चीज तैयार किया है.” उन्होंने कहा कि “भारत में इसकी मांग अभी सीमित है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी डिमांड काफी अधिक है. बकरी का दूध हल्का, उच्च गुणवत्ता वाला और आसानी से पचने वाला होता है.”
पशुओं के प्रेगनेंसी टेस्ट के लिए किट हुआ विकसितः एक अन्य छात्रा ने 8 घंटे में बनने वाला प्राकृतिक दही पेश किया, जिसमें किसी भी तरह के रसायन या रंगों का उपयोग नहीं किया गया. छात्रों ने पशुपालकों के लिए पशुओं में गर्भधारण ( प्रेगनेंसी टेस्ट) की पहचान करने वाली किट भी विकसित की है, जो किसानों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी.