पंचकूला: साल 1951 से 1965 तक चंडीगढ़ के निर्माण और विकास के सूत्रधार रहे पियरे जेनरे को चंडीगढ़ वासियों ने उनकी पुण्यतिथि पर याद किया. इस दौरान शहर और अन्य जगहों के वास्तुकार चंडीगढ़ सेक्टर-5 के उस मकान में पहुंचे, जहां रहते हुए पियरे जेनरे ने चंडीगढ़ के निर्माण में बहुमुल्य योगदान दिया. पियरे जेनरे की पुण्यतिथि पर उनकी याद को सेलिब्रेट करने वास्तुकार ही नहीं, बल्कि कभी उनके पड़ोसी रहे लोग भी पहुंचे.
पियरे जेनरे जब चंडीगढ़ के निर्माण में जुटे थे, तब शहर को सिटी ब्यूटीफुल का तमगा तो नहीं मिला था, लेकिन इसके लिए पियरे जेनरे और चंडीगढ़ को डिजाइन करने वाले वास्तुकार ली-काबुर्जिए इसे नक्शा देकर विरासत खड़ी कर रहे थे.
सेक्टर-5 घर में बिताए अंतिम साल: पियरे जेनरे चंडीगढ़ के निर्माण और विकास के लिए शहर में वर्ष 1951 से 1965 तक रहे. वह चंडीगढ़ सेक्टर-5 के मकान नंबर-57 में रहे, यहां उन्होंने अपने जीवन के करीब 11 वर्ष बिताए. यह मकान चंडीगढ़ की सुखना झील के सामने मौजूद है. हालांकि वर्ष 1967 में उनका देहांत हो गया. लेकिन इससे पहले वह चंडीगढ़ को वो सबकुछ दे गए, जिसने इस शहर को सिटी ब्यूटीफुल बनाने में बड़ा योगदान दिया. शहर के कई सरकारी स्कूल, घर, ली-काबूर्जिए सेंटर और पंजाब यूनिवर्सिटी स्थित गांधी भवन डिजाइन किया. इसके अलावा पियरे जेनरे ने आकर्षक फर्नीचर भी डिजाइन किया. उनके द्वारा उस समय तैयार किया गया फर्नीचर, आज भी विदेशों में लाखों रुपये में बिकता है. उनके द्वारा बनाए गए नायाब फर्नीचर के लिए विदेशों में बोली लगती हैं.
पैडल बोट बनाने के थे शौकीन: हरियाणा के पहले चीफ सेक्रेट्री, तत्कालीन आसीएस अधिकारी, सरूप क्रिशन के दामाद ने ईटीवी भारत को बताया कि, “साल 1956 से 1960 तक उनके ससुर पड़ोस के मकान नंबर-55 में रहते थे. जबकि पियरे जेनरे मकान नंबर-57 में रहा करते थे. उस दौरान उनके ससुर सरूप क्रिशनऔर पियरे जेनरे में काफी अच्छी दोस्ती थी. पियरे अपने सर्वेंट्स के साथ कामकाज में व्यस्त रहते थे. वह अपनी रोप की कुर्सी बनाते, कारपेट क्लीन करते, सर्वेंट बंसी के साथ काम में लगे रहते थे. सरूप क्रिशन ने दोस्त पियरे जेनरे से उनकी बनाई कुर्सियां एक-सौ रुपये में ली हुई हैं, जो कुर्सिंयां आज शिकागो और लंदन में 30-35 लाख रुपये में बिकती हैं.”
2017 में पियरे हाऊउ को म्यूजियम बनाया:चंडीगढ़ को बसाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले वास्तुकार पियरे जेनरे के सेक्टर-5 स्थित पियरे हाऊस को चंडीगढ़ प्रशासन ने वर्ष 2017 में संग्रहालय का रूप दिया. इस संग्रहालय में आकर लोग पियरे जेनरे की जीवनी और उनके द्वारा किए गए कार्यों को जानकर उनकी क्षमता और कल्पना शक्ति का अंदाजा लगाने का प्रयास करते हैं. केवल आम लोग ही नहीं, बल्कि देश-विदेशों के वास्तुकार भी इस संग्रहालय को देखने यहां आते हैं. चंडीगढ़ को करीब से जानने के लिए लोग पियरे जेनरे द्वारा डिजाइन फर्नीचर को देखने के लिए सेक्टर-19\बी स्थित ली-काबुर्जिए सेंटर और सेक्टर-10 स्थित चंडीगढ़ आर्किटेक्चर म्यूजियम भी जाते हैं. चंडीगढ़ को डिजाइन करने वाले फांसीसी वास्तुकार ली-काबूर्जिए और पियरे जेनरे ने व्यक्तिगत तौर पर किए कार्यों के अलावा संयुक्त रूप से बहुमुल्य योगदान देकर चंडीगढ़ पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है.
तीन तरह के मैनहोल कवर डिजाइन किए: पियरे जेनरे ने शहर के सीवर सिस्टम को भी तैयार किया. उस दौरान उन्होंने तीन तरह के मैनहोल कवर डिजाइन किए. यह तीनों भले ही देखने में एक तरह के लगते हैं लेकिन गौर से देखने पर इनका अंतर पता लगता है. कवर के एक डिजाइन में चंडीगढ़ सेक्टर-17 और कैपिटल कॉम्पलेक्स दर्शाया गया है. दूसरे कवर में सेक्टर बाहर की ओर, जबकि रोड अंदर की तरफ दिखाए गए हैं. जबकि तीसरे डिजाइन में सेक्टर-17 और कैपिटल कॉम्पलेक्स को दर्शाया नहीं गया है.
चंडीगढ़ के इतिहास को करीब से जानने वाले लोग बताते हैं कि अकसर सुनने में आता है कि मैनहोल को ली-काबूर्जिए और पियरे ने संयुक्त रूप से डिजाइन किया. लेकिन कुछ जानकारों के अनुसार मैनहोल को पियरे ने ही डिजाइन किया था. वर्ष 1950 के दशक में जब चंडीगढ़ बसाना शुरू किया गया तो सीवरेज सिस्टम को अंडरग्राउंड बनाया जाना बड़ी बात थी. उसी दौरान मैनहोल के यह कवर भी डिजाइन किए गए.

















