स्थानीय पुराना बस स्टैंड स्थित एक निजी रेस्तरां में आयोजित गौरव समारोह में भिवानी, हिसार, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुरुग्राम जिले के पूर्व सैनिकों ने हिस्सा लिया और अपनी रेजिमेंट के गौरवशाली इतिहास को याद किया। समारोह की शुरुआत मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीर शहीदों को नमन कर की गई। सभी पूर्व सैनिकों और अतिथियों ने दो मिनट का मौन रखकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
वर्ष 1971 के युद्ध में 21 राजपूत रेजिमेंट ने अद्भुत रणकौशल दिखाते हुए दुश्मन को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण खानसामा पोस्ट पर कब्जा किया था। इसी विजय के उपलक्ष्य में रेजिमेंट को प्रतिष्ठित बैटल ऑनर खानसामा से नवाजा गया था।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और 1971 के युद्ध के नायक रहे सूबेदार जसवंत सिंह ने उस दौर की यादें ताजा कर माहौल को भावुक कर जोश से भर दिया। अल्फा कंपनी के निर्देशन में अहम भूमिका निभाने वाले सूबेदार सिंह ने बताया कि वह 1971 का दौर था, जब दुश्मन की भारी गोलाबारी के बीच भी 21 राजपूत के जवानों के कदम नहीं डगमगाए।
इस टोली ने रात के अंधेरे का इंतजार नहीं किया, बल्कि दिन के उजाले में ही दुश्मन की आंखों में आंखें डालकर मोर्चा संभाला और मात्र चार घंटे में ही खानसामा की शुगर मिल पर कब्जा स्थापित कर लिया। इस टीम की सूझबूझ और अदम्य साहस के आगे दुश्मन को खानसामा क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा।
पूर्व सैनिकों के जज्बे को नमन करते हुए हमारा अपना फाउंडेशन के सैनिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष महेश चौहान ने कहा कि ऐसे आयोजन पुराने साथियों को मिलने का मौका देते हैं और समाज में राष्ट्र भक्ति की अलख भी जगाते हैं।
वक्ताओं ने कहा कि 21 राजपूत रेजिमेंट का इतिहास वीरता के स्वर्ण अक्षरों से लिखा गया है। खानसामा की लड़ाई में देश के जवानों ने जिस शौर्य का प्रदर्शन किया, वह आज की युवा पीढ़ी के लिए एक मिसाल है।
इस अवसर पर कैप्टन कृष्ण चौहान, हवलदार संजय सिंह, सूबेदार इंदरजीत चौहान, हवलदार लक्ष्मण सिंह, सूबेदार नेत्रपाल सिंह, हवलदार ओमकार राणा, सरपंच देशराज फौजी, हवलदार विनोद पहलवान, सूबेदार चरण सिंह मलिक आदि मौजूद रहे।