डेंटल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संजय तिवारी ने बताया कि सचिन को गंभीर हालत में ट्रॉमा सेंटर लाया गया था। पटाखे के धमाके से पूरा चेहरा वीभत्स हो गया था। मुंह खून से भरा था। इस वजह से उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी। सबसे बड़ी चुनौती मरीज का जीवन बचाना था। उसे तुरंत ऑक्सीजन देने के लिए गले में छेद बनाया गया। यहां से ऑक्सीजन मिलने पर मरीज को कुछ राहत मिली। अगली चुनौती बिखरे चेहरे को फिर से ठीक करना थी। इसके लिए डेंटल कॉलेज में चिकित्सकों की टीम ने दोपहर एक बजे ऑपरेशन शुरू किया। ऑपरेशन रात साढ़े बजे तक चला।
युवक के चेहरे पर अलग-अलग छह जगह टांके लगाए गए। पहले निचले जबड़े की नष्ट नसों को टीम ने दुरुस्त किया। धमाके से युवक की पैरोटिड ग्रंथी भी बाहर आ गई थी और नसें भी बिखरी थीं। इसे भी सुरक्षित रखते हुए चिकित्सकों ने युवक का चेहरा बचा लिया। मरीज अभी देख-रेख में है।