खतरे की आशंका से सतर्क परिवार, कोठी पर PCR तैनात

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24 साल पहले देशभर में सुर्खियों में रहे पूर्व विधायक रेलू राम हत्याकांड के दोषी सोनिया और संजीव की जेल से रिहाई के बाद उनके परिवार के लोगों में दहशत का माहौल है। रेलू राम के भतीजे और परिवार के सदस्य पूरी रात शिफ्ट में जागकर निगरानी कर रहे हैं। सुरक्षा के लिए घर पर पीसीआर तैनात है। बावजूद इसके किसी भी अजनबी को देखकर डर जाते हैं। उन्हें आशंका है कि संपत्ति के लिए सोनिया और संजीव उन पर भी हमला कर सकते हैं।

रेलू राम की बेटी दोषी सोनिया और दामाद संजीव को अग्रिम जमानत मिलने के बाद उनकी कोठी फिर से चर्चा का विषय बन गई है। ग्रामीणों का कहना है कि भले ही इस हत्याकांड को 24 साल बीत गए हों, लेकिन जब वे कोठी के पास से गुजरते हैं तो ऊपरी मंजिल के कमरे में बिछी लाशों का खौफनाक मंजर याद आ जाता है। आरोपियों ने बच्चों तक को बेरहमी से मार डाला था। उनका जेल से बाहर आना गांववासियों के लिए भी चिंता का कारण बन चुका है। ऐसे लोग समाज के लिए खतरा है। कोठी में मौजूद लोगों ने कहा कि भगवान ऐसी बेटी किसी को न दे, जिसने अपने घर को ही श्मशान बना दिया।
निर्दलीय विधायक चुने गए थे रेलू राम
रेलू रात बरवाला से निर्दलीय विधायक रहे, उनकी लितानी मोड़ पर कोठी है। यह कोठी उन्होंने 1992 में खेत में बनाई थी, जो गांव से 5-6 किलोमीटर दूर है। लोग बताते हैं कि वह एक समाजसेवी के रूप में जाने जाते थे और हमेशा दूसरों की मदद के लिए खड़े रहते थे। उनकी मदद से कई परिवारों की समस्याओं का समाधान हुआ और लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।

जहां मर्डर, वहीं पोस्टमार्टम

रेलू राम की बेटी सोनिया ने अपने पति संजीव के साथ मिलकर परिवार के आठ लोगों को बेरहमी से मार डाला था। इनका मकसद संपत्ति हड़पना था। 23 अगस्त 2001 की रात दोनों ने रेलू राम, मां कृष्णा, बहन प्रियंका, सौतेले भाई सुनील, उसकी पत्नी शकुंतला और उनके तीन बच्चों लोकेश (4), शिवानी (2) और प्रीति(45 दिन) की निर्मम हत्या कर दी थी। गांव के लोगों ने बताया कि जहां रेलू राम समेत परिवार के 8 लोगों की हत्या हुई थी, वहीं पोस्टमार्टम कराया गया।

रेलू राम ने कीकर के नीचे बैठा मिलूंगा…वादा नहीं तोड़ा

रेलू राम पूनिया अक्सर ग्रामीणों से कहते थे कि जब भी मेरी जरूरत हो आ जाना, मैं कीकर के नीचे बैठा मिलूंगा। होता भी यही था। जब भी गांव के लोग उनसे मदद की उम्मीद में आते, वह अपनी कोठी के बाहर लितानी मार्ग पर कीकर के नीचे बैठकर उनका स्वागत करते थे। उनका यह सरल स्वभाव और मददगार दृष्टिकोण आज भी गांव वालों के दिलों में ताजा है।

सोनिया अक्सर अपने ही बारे में सोचती थी

रेलू राम के भाई के बेटे जितेंद्र पूनिया ने बताया कि सोनिया बचपन से ही स्वार्थी और झगड़ालू स्वभाव की थी। वह अक्सर अपने बारे में ही सोचती थी और दूसरों की भावनाओं को नजरअंदाज करती थी। जितेंद्र ने कहा कि उनके ताऊजी ने गांव वालों के लिए बहुत काम किए थे, इसलिए लोग आज भी उन्हें इज्जत और सम्मान से याद करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में डालेंगे याचिका

जितेंद्र पूनिया ने 23 अगस्त 2001 की रात के घटना के बारे में बताया कि सुबह जब दूध वाला आया तो उसने सोनिया को ऊपर वाले कमरे में गेट के पास पड़े देखा। उसके मुंह से झाग निकल रहे थे। गांव वाले और मेरे पिताजी मौके पर आए तो लगा कि सब खत्म हो गया। गांव से ही एक व्यक्ति अपनी जिप्सी में सोनिया को बरवाला के अस्पताल लेकर गया। घर के अंदर 8 लोगों के शव पड़े थे। बाद में पता चला कि इस हत्याकांड के पीछे कोई और नहीं बल्कि सोनिया है। जितेंद्र ने बताया कि सोनिया और संजीव को जमानत मिलने के खिलाफ जल्द ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी, क्योंकि दोनों से परिवार को जान का खतरा है।

मुझे भी जेल में डाल दिया गया…

गांव के वीरेंद्र उर्फ बांदर ने बताया कि हत्याकांड रात में हुआ और सुबह कोठी पर मौजूद एक नौकर उनके पास पहुंचा और बताया कि गोलियां चली हैं। ये नहीं पता कौन मरा और कौन बचा। मैंने तुरंत अपने पिताजी को कोठी पर भेजा। बाद में खुद गया। सोनिया ने ऐसा नाटक किया जैसे वह ही जीवित बची है। सभी ने इसे सच मान लिया और उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया। कुछ घंटों बाद उसकी कहानी झूठी साबित हुई। 13वीं के दिन तक पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया तो लोगों की भीड़ एकत्र हो गई और विरोध करते हुए आगजनी की। इसके बाद पुलिस ने कई लोगों को जेल में डाल दिया। इनमें मैं भी शामिल था। कई वर्षों तक इस केस को लड़ा। बाद में अदालत ने बरी कर दिया।