बैठक के दौरान नारेबाजी करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि सरकार सुरक्षित और सस्ती परिवहन सेवा का निजीकरण कर इसे पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। बैठक को संबोधित करते हुए सांझा मोर्चे के वरिष्ठ सदस्य जयबीर घणघस, नरेंद्र दिनोद और वीरेंद्र ने कहा कि ठेके की इलेक्ट्रिक बसों और किलोमीटर स्कीम की बसों को बिना मांग के लगातार रोडवेज में शामिल किया जा रहा है जिससे रोडवेज को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि एक ओर मंत्री और विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों के हर गांव में सरकारी बसें चलाने के आदेश दे रहे हैं जबकि रोडवेज के पास सभी गांवों में बसें भेजने के लिए पर्याप्त वाहन उपलब्ध नहीं हैं। बसों की मरम्मत के लिए कर्मचारी लगभग नहीं के बराबर रह गए हैं। चालक और परिचालकों की कमी तथा समय पर मरम्मत न होने के कारण कई बसें खड़ी रहती हैं, जिससे मौजूदा कर्मचारियों पर काम का अत्यधिक बोझ बढ़ गया है।
बैठक में कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में धुंध, बारिश और कोरोना काल जैसे विपरीत हालात में जोखिम भरी ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को जोखिम भत्ता देने, ऑनलाइन तबादला नीति के स्थान पर विभाग एवं कर्मचारी हित में आपसी तबादला नीति पुनः लागू करने, कोरोना काल में खड़ी ठेके की बसों को किए गए भुगतान के आदेश रद्द कर मामले की जांच कराने तथा बकाया बोनस का भुगतान करने की मांग शामिल रही। रोडवेज कर्मचारियों ने स्पष्ट किया कि यदि सरकार ने उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया तो प्रदेशभर के सभी डिपो के रोडवेज कर्मचारी 18 जनवरी 2026 को अंबाला छावनी में परिवहन मंत्री के आवास पर न्याय मार्च निकालेंगे।