पानीपत एसिड अटैक केस का फैसला: तीन आरोपी बरी, पीड़िता ने न्याय की लड़ाई जारी रखने का किया ऐलान

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16 साल से लंबित पानीपत एसिड अटैक मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के 20 दिन बाद रोहिणी कोर्ट ने बुधवार शाम को फैसला सुनाया। कोर्ट ने पानीपत (हरियाणा) के शिक्षण संस्थान के संचालक, उसकी पत्नी और संस्थान के छात्र को बरी कर दिया है। इस मामले को लेकर गत चार दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की थी और 16 साल से लंबित मुकदमे को न्याय व्यवस्था का मजाक व शर्म का विषय बताया था। उधर, कोर्ट के इस फैसले को लेकर पीड़िता ने नाखुशी जाहिर की और पुलिस जांच पर सवाल उठाए हैं। पीड़िता ने कहा कि 16 साल की लड़ाई के बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। वे आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ेंगी और हाई कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी।

दिल्ली की सावित्री नगर की रहने वाली 27 वर्षीय पीड़िता पर 19 नवंबर 2009 को हरियाणा के पानीपत शहर में एसिड अटैक हुआ था। पांच साल बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला पानीपत से रोहिणी जिला न्यायालय स्थानांतरित कर दिया गया था। लगभग 11 वर्ष चली सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगमोहन ने बुधवार शाम साढ़े चार बजे फैसला सुनाया। इस मामले में आरोपित पानीपत स्थित शिक्षण संस्थान के संचालक यशविंद्र मलिक, उनकी पत्नी मधुबाला व संस्थान के ही छात्र मनजीत को आरोप मुक्त कर दिया। आरोपित यशविंद्र मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 511, 342, 506, 364-ए के तहत मामला दर्ज किया गया था, जबकि उसकी पत्नी मधुबाला व छात्र मनदीप धारा 120-बी, 326 व 308 में नामजद थे। यशविंद्र मलिक को 2013 में जमानत मिल गई थी। पांच माह पहले 2025 में पीड़िता की शिकायत पर रोहिणी कोर्ट ने आरोपित की जमानत निरस्त कर दी थी।

कोर्ट के फैसले के बाद पीड़िता ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के तेजी से ट्रायल चलाने के निर्देश के बाद न्याय की उम्मीद बंधी थी, लेकिन रोहिणी कोर्ट के फैसले के बाद उम्मीद कर गई है। 16 साल की लड़ाई के वाद भी उन्हें न्याय नहीं मिला। उन्हें नौकरी-मुआवजा नहीं चाहिए था। उन्हें केवल न्याय चाहिए। आखिर सांस तक लडाई लड़ेंगी। उन्होंने बताया कि अब तक 25 सर्जरी हो चुकी हैं। 30-40 लाख रुपये इलाज पर खर्च हो चुके हैं। पीड़िता की वकील मरिया शहजार ने बताया कि तीनों आरोपित को कोर्ट ने वरी कर दिया है। अभी फैसले की डिटेल नहीं मिली है। फिलहाल मामले की जांच में कमी की वात सामने आई है। इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जाएगी।