प्राचीन राखीगढ़ी महोत्सव में सजी हड़प्पा कालीन विरासत, स्टॉल बने आकर्षण का केंद्र

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हिसार: हरियाणा के हिसार में ऐतिहासिक स्थल राखीगढ़ी में चल रहे वार्षिक राखीगढ़ी महोत्सव ने इतिहास और संस्कृति प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया है. हरियाणा सरकार द्वारा आयोजित ‘राखीगढ़ी महोत्सव-2025’ के दूसरे दिन भी दर्शकों का भारी उत्साह देखने को मिला. महोत्सव में लगाई गई विशेष स्टॉलों के माध्यम से 5,000 साल पुरानी सिंधु-सरस्वती सभ्यता और हरियाणा की ग्रामीण विरासत का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया जा रहा है.

हरियाणवी पोशाक की लगी स्टॉल: महोत्सव का उद्देश्य न केवल राखीगढ़ी के पुरातात्विक महत्व को उजागर करना है, बल्कि स्थानीय कारीगरों और समुदायों द्वारा संरक्षित पारंपरिक कलाओं और सामग्रियों को भी बढ़ावा देना है. महोत्सव में आगंतुक जटिल हाथ की कढ़ाई वाले वस्त्र, ओढ़नी (दुपट्टे) और पारंपरिक हरियाणवी पोशाक भी हैं. ये स्टाल दर्शाते हैं कि कैसे स्थानीय बुनाई और रंगाई की तकनीक पीढ़ियों से चली आ रही हैं.

पारंपरिक आभूषण महिलाओं को कर रहे आकर्षित: स्थानीय स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्तनिर्मित वस्त्र प्रदर्शित किए जा रहे हैं. मिट्टी और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों से बने पारंपरिक आभूषणों ने महिलाओं और कला प्रेमियों को समान रूप से आकर्षित किया है. इन आभूषणों की डिजाइन सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली शैलियों की याद दिलाती हैं. कई स्टॉलों पर स्थानीय कुम्हारों द्वारा बनाए गए मिट्टी के बर्तन और टेराकोटा की मूर्तियां प्रदर्शित हैं. ये सामग्रियां दैनिक जीवन में पारंपरिक तरीकों के उपयोग को दर्शाती हैं.

सरल जीवनशैली की झलक: कुछ अनोखे स्टॉलों पर लकड़ी और धातु से बने पुराने कृषि उपकरण, साथ ही पीतल और तांबे के घरेलू उपयोग के बर्तन प्रदर्शित किए गए हैं, जो आगंतुकों को ग्रामीण हरियाणा की सरल जीवन शैली की झलक प्रदान करते हैं. उपायुक्त महेंद्र पाल ने कहा कि “ये स्टाल हमारी विरासत के संरक्षक हैं. वे न केवल स्थानीय कारीगरों को एक मंच प्रदान करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़ने का अवसर भी देते हैं”.

खान-पान की भी व्यवस्था: एसडीएम विकास यादव ने बताया कि “आगंतुक इन स्टालों पर प्रदर्शित की जा रही अद्वितीय सामग्रियों को उत्सुकता से देख रहे हैं और कई लोग इन पारंपरिक वस्तुओं को स्मृति चिन्ह के रूप में खरीद भी रहे हैं. राखीगढ़ी म्यूजियम में लगाई गई प्रदर्शनी में खुदाई के दौरान प्राप्त मृदभांड (मिट्टी के बर्तन), टेराकोटा के खिलौने और अन्य वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं. महोत्सव में पारंपरिक खेलों (कबड्डी, कुश्ती) और लोक नृत्यों के साथ-साथ पारंपरिक ग्रामीण खान-पान की भी व्यवस्था की गई है, जो हड़प्पा कालीन कृषि आधारित जीवन और आधुनिक संस्कृति के बीच निरंतरता को दर्शाता है. महोत्सव रविवार तक जारी रहेगा.”