(VIDEO) संघर्ष की मिसाल: जूते नहीं थे, अब भारतीय हैंडबॉल टीम के कोच

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हिसार : इस बार भारतीय हैंडबॉल टीम की कमान लाडवा निवासी हैंडबॉल कोच नवीन पूनिया संभालेंगे। 22वीं एशियन हैंडबॉल चैंपियनशिप कुवैत में 15 से 26 जनवरी तक हो रही है। आइए आपको बताते है ऐसे खिलाड़ी की संघर्ष भरी कहानी के बारे में जिसने अभावों के बीच अपने सपनों को जिंदा रखा और वह आज देश का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम का मार्गदर्शन करेंगे।

नवीन पूनिया ने बताया कि उन्होंने साल 2004 में हैंडबॉल खेलना शुरू किया था। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी।  उनके पिता रामकुमार ट्रैक्टर चलाकर परिवार का पालन-पोषण करते थे। उनके पास खेलने के लिए जूते तक नहीं थे। वह अपने सीनियर खिलाड़ियों के पुराने जूतों को सिलवाकर पहनते थे।

साल 2010 में उन्हें भारतीय सेना में नौकरी मिली

उन्होंने बताया कि गांव के सरकारी स्कूल में डीपी जयभगवान पानू ने उन्हें हैंडबॉल खेलना सिखाया। लगातार मेहनत और अनुशासन ने उन्हें आगे बढ़ाया। खेल ही उनके जीवन का सहारा बना। इसी के चलते साल 2010 में उन्हें भारतीय सेना में नौकरी मिली।

नवीन ने जीते कई मेडल 

बता दें कि नवीन ने 2019 से 2022 तक भारतीय हैंडबॉल टीम के कप्तान के रूप में जिम्मेदारी संभाली। उनके नेतृत्व में टीम ने कई पदक जीते। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर 22 व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 3 मेडल जीते। साउथ एशिया हैंडबॉल चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतना उनके करियर की बड़ी उपलब्धियों में शामिल है। एशियन गेम्स में उनके शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें बेस्ट प्लेयर का अवॉर्ड मिला। इस उपलब्धि पर तत्कालीन थल सेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने उन्हें सम्मानित किया था।

नवीन पूनिया को मिल चुका है भारत गौरव अवार्ड

नवीन पूनिया को नई दिल्ली में भव्य समारोह में भारत गौरव अवार्ड मिल चुका है। एक भव्य राष्ट्रीय समारोह में नवीन पूनिया को उनके बहुआयामी योगदान खेल, कला और सामाजिक प्रेरणा के लिए भारत गौरव अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया।

4 बार भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविरों से हुए बाहर

नवीन ने बताया कि वह चार बार भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविरों से बाहर हुए, तब तो उन्होंने खेल छोड़ने का फैसला तक कर लिया था, लेकिन भारतीय सेना के कोच अरुण सैनी ने उन्हें समझाया। अब वर्ष 2025 में इंडिया टीम ने उन्हें सीनियर भारतीय हैंडबॉल टीम का प्रमुख कोच नियुक्त कर दिया।